पटना – एनडीआरएफ ने अररिया, दरभंगा, बेतिया, गोपालगंज और सारण में सिखाया बच्चों को आपदा प्रबंधन के गुर
पटना।
9 वीं वाहिनी एनडीआरएफ, बिहटा (पटना) की टीमें शुक्रवार को अररिया, दरभंगा, बेतिया, गोपालगंज और सारण जिलों में लगभग 3400 छात्रों, अध्यापकों एवं एन०सी०सी० कैडेट्स को आपदा प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं पर प्रशिक्षण दिया। निरीक्षक संजय कुमार तथा निरीक्षक सुरेश बिलुंग के नेतृत्व में पश्चिमी चम्पारण जिलान्तर्गत मध्य विद्यालय बरवा, सिटी मोंटेसरी स्कूल बगहा तथा स्केर्ड हार्ट मिशन हाई स्कूल फकीराना, बेतिया में, निरीक्षक विश्व राजीव कुमार के नेतृत्व में +2 महात्मा गाँधी स्मारक उच्च विद्यालय अररिया में, सहायक उप निरीक्षक हनन कामरी के नेतृत्व में डीएवी पब्लिक स्कूल गोपालगंज तथा उप निरीक्षक कार्तिकेश्वर साहू के नेतृत्व में बीकेडी राजकीय उच्च विद्यालय दरभंगा में छात्रों तथा शिक्षकों को स्कूल सुरक्षा जागरूकता प्रोग्राम के तहत आपदा प्रबंधन के पहलुओं पर प्रशिक्षण दिया। इसके अलावे एक टीम निरीक्षक दीपक कुमार गुप्ता के नेतृत्व में जय प्रकाश नारायण इंजीनियरिंग कॉलेज छपरा में लगभग 1000 एनसीसी कैडेट्स को आपदा प्रबंधन एवं रेस्पांस मैकेनिज्म पर प्रशिक्षण दिया। एन०डी०आर०एफ० टीम ने प्रशिक्षण के दौरान स्कूल के शिक्षकों, छात्रों एवं एनसीसी कैडेट्स को बाढ़ व भूकम्प सुरक्षा, सड़क सुरक्षा, वज्रपात सुरक्षा तथा सर्पदंश प्रबंधन के बारे में जानकारियाँ दी। इसके बाद बच्चों को अस्पताल-पूर्व चिकित्सा के बारे में डेमोंस्ट्रेशन के माध्यम से बताया गया एवं इसका अभ्यास भी करवाया गया। बच्चों को घरों में उपलब्ध सामानों की मदद से बाढ़ के दौरान बचाव के लिए राफ्ट बनाने के तरीके तथा इसे इस्तेमाल करने की विधि के बारे में भी जानकारी दी गई।
श्री विजय सिन्हा, कमान्डेंट ने कहा कि आपदा जोखिम न्यूनीकरण हेतु 9 वीं वाहिनी एनडीआरएफ द्वारा बिहार के सरकारी एवं प्राइवेट स्कूलों के शिक्षकों तथा छात्रों को लगातार इस तरह का प्रशिक्षण दिया जा रहा है जिसका उद्देश्य है कि विद्यालय के अध्यापकों तथा बच्चों को आपदा प्रबंधन में इस प्रकार जागरूक एवं सक्षम बनाया जाए कि वे विद्यालय परिसर में उत्पन्न किसी भी तरह की आपात स्थिति का कारगर ढंग से मुकाबला कर सकें और ऐसी स्थिति से निपटने के लिए सदा तैयार रहें। उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान परिवेश में यह जरूरी है कि प्रत्येक विद्यालय में आपदा प्रबंधन योजना तैयार किया जाए तथा समय-समय पर इसका अभ्यास भी किया जाए ताकि विद्यालयों के प्रत्येक छात्र एवं अध्यापक इससे भाली भांति अवगत रहें ।
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