Jamtara News :नहीं रहे झामुमो के जामताड़ा जिलाध्यक्ष श्यामलाल दादा, उनके निधन से एक राजनीतिक युग का हुआ समापन

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जामताड़ा।
श्याम वर्ण, लंबा कद-काठी, चेहरे पर हमेशा मुस्कान लिए, सहज एवं मृदुभाषी, जामताड़ा जिले के सभी के चहेते और सम्माननीय झामुमो जिलाध्यक्ष श्यामलाल हेंब्रम उर्फ श्यामलाल दादा अब लोगों के बीच नहीं रहे। उनकी मुस्कुराहट, कठोर निर्णय लेने की क्षमता, संगठन के प्रति उनका समर्पण सिर्फ पार्टी के लिए हीं नही बल्कि राजनीतिक जगत के लिए प्रेरणास्रोत के रूप में रहेगी। श्यामलाल दादा के निधन से राजनीति के एक युग का अंत हो गया है। लगभग 80 वर्षीय झामुमो जिलाध्यक्ष श्यामलाल हेंब्रम बीते कुछ महीनों से किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे। उनका डायलिसिस भी नियमित चल रहा था। अचानक तबीयत बिगड़ने पर उन्हें दुर्गापुर के हेल्थ वर्ल्ड अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां शुक्रवार की देर रात उन्होंने अंतिम सांस ली।

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उनके निधन की खबर सुनते हीं न केवल पार्टी बल्कि राजनीति और सामाजिक गलियारों में भी शोक की लहर दौड़ पड़ी। लोगों को विश्वास नहीं हो रहा था कि कल तक जो व्यक्ति रांची में होने वाले उलगुलान रैली की तैयारी में एक पैर पर खड़ा होकर व्यवस्था को देख रहे थे वह अचानक कैसे दुनिया छोड़ गए। जामताड़ा जिला में एक राजनितिक युग का अंत हो गया।

जिले का सबसे बड़ा कद्दावर नेता श्यामलाल हेंब्रम वर्तमान में झामुमो के जिलाध्यक्ष, जिला परिषद सदस्य एवं जिला 20 सूत्री उपाध्यक्ष भी थे। उनका निधन जिला के लिए हीं बल्कि राजनीतिक जगत के लिए अपूर्णीय क्षति है। अस्वस्थ रहने के बावजूद झारखंड मुक्ति मोर्चा को वे अपने खून पसीने से सींचते रहे।

श्यामलाल दादा पिछले 40 वर्षों से झारखंड मुक्ति मोर्चा के लिए समर्पित थे। वह दिशोम गुरु शिबू सोरेन के काफी करीबी थे। उनके संघर्ष के दिनों में श्यामलाल दादा ने गुरु जी का साथ दिया था। और तब से वह राजनीतिक और व्यक्तिगत संबंध उनसे निभाते रहे। श्यामलाल हेंब्रम का पैतृक निवास मिहिजाम थाना क्षेत्र के केलाही हुचुकपाड़ा गांव है। अपने पीछे वे दो पुत्री और एक पुत्र को छोड़ गए। उनके निधन पर पार्टी के नेता रविंद्रनाथ दुबे, प्रो कैलाश साव, पार्टी प्रवक्ता अशोक मंडल, चंचल राय, वकील सिंह, विष्णु भैया मेमोरियल फाउंडेशन की मुख्य संरक्षक सह समाज सेविका चमेली देवी, अधिवक्ता बीएन मांझी, संजय तिवारी साहित अन्य ने संवेदना प्रकट किया है।

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