विकास से कोसो दूर हैं दुर तानीसिया गांव, आज़ादी से लेकर अवतक कोई भी पदाधिकारी गांव नहीं पहुॅचा,

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कच्ची मकान में होती है पठन पाठन व षुद्ध पानी के लिए तरस्ते ग्रामीण
जंगल में रहने वाले लोग नहीं जानते मोटर साईकिल कैसी होती है ।
चांडिल:- सरायकेला खरसवाॅ जिला अन्तर्गत चांडिल अनुमंडल के चांडिल प्रखण्ड के चैका थाना क्षेंत्र के हेंसाकोचा पंचायत के गांव तानीसोया में आदिम जनजाति मुंडा समाज समुदाय के ग्रामिण 80 परिवार के 250 से 300 लोग जंगल महल के बीच कई युगांे से अपने परिवार के साथ वसवास करते हुए आ रहै है। अजाादी से लेकर अवतक और झारखण्ड राज्य अलग होने के 14 वर्ष बाद भी इन अदिवासीयो का सुधि लेने बाला कोई नही है। ंगांव में पुर्णत रांेजगार प्राप्त न होने के कारण गांव के 60 प्रतिशत बेरोजगार युवक रोजगार प्राप्त करने के लिए देंश के बिभिन्न राज्यों में पलायन कर अपने व अपने परिवार की दो बक्त की रोटी के लिए काम कर रहै है। पहाड़ी क्षेंत्र में वसे तानीसिया गांव बिकास के लिए तरस रहै है, लेकिन तानीसिया गांव का अबतक कुछ प्रतिशत भी बिकास नहीं हुआ है। हेंसाकोचा पंचायत के गांव तानीसिया, मुटूदा, रंगामाठिया, रहेड़दा, हाथिकोचा लालाबेड़ा गांव बिकास से कोशो दुर है। गांव में 1962 में प्राथमिक बिद्यालय तानीसिया स्थापित हुआ है लेकिन अवतक गांव में सरकारी बिद्यालय भवन नही बना है। जो कि सर्व शिक्षा अभियान के तहत हर गांव में सरकारी पक्की बिद्यालय भवन होना जरुरी है। साथ ही गांव में चैपड़ पटी में आॅगनवाड़ी केन्द्र चलाया जाता है। गांव में एक भी चपाकल व सरकारी कुआॅ नही होने के कारण ग्रामिण बिवश होकर झरना, ड़ाढ़ी, तलाव का पानी पिते है वही जंगल के हाथी, हिरन, मौर, बैल, गाय, भैंस भी उसी डाढ़ी, झरना का पानी का सेवन करते है। गांव में मात्र कुछ ही बृद्धों का बृद्धा पेंशन हुआ है। वन बिभाग द्वार भी क्षेंत्र में वृक्षा रोपन, जंगल बचाओ समिति, वन विभाग की और से चैकडैम, कुआॅ कुछ भी योजना गांव में नही चलाया है। सुदर ग्राामिण बिद्युतीकरण की और से गांव में मात्र कुछ ही लोगो को 2000 में सोलर लाईट दिया गया था। गांव के लोग साल पत्ता, दातुन, मुलकंद, जंगल के फल को लेकर गांव से 20 से 25 किमी दुर मार्केट में आकर बेचते हैं एंव अपने जिवन की भरन पोषन करते हैै। गांव के लोग दोपहर के समय सोलर बेटरी से चार्च कर रेडियो के माध्यम से मनोरंजन करते है एंव देश दुनिया की थोड़ा बहुत खबर सुनते है। गांव के लोग गांव कि बिकास कैसे हो इससे लेकर काफी चिंतित है और हर शुक्रवार को गांव के आम पेड़ के नीचे बैठक कर गांव कि बिकास पर विचार बिमर्श करते है। गांव में सरकारी योजनाओ का एक प्रतिशत भी काम नही हुआ है। गांव में सड़क, पानी बिजले, शिक्षा के साथ साथ स्वावस्थ केन्द्र भी नहीं है। गांव में कोई भी बीमार पड़ता है तो उसे चारपाई के सहारे गांव से 25 किमी दुर पांच से छःह जंगल पार कर स्वावस्थ केन्द्र चैका लाते है इस दौरान कई मरिज दम तोड़ देता है। ग्रामिण सामु सिंह(85) ने कहा कि गांव में सवसे बड़ी समस्या सड़क का है अवतक कोई भी नेता सांसद, बिधायक, जिला परिषद व समाजसेवी गांव नाम भी नही जानता। उन्होने कहा कि गांव में सड़क न होने के कारण कोई भी हमारे गांव में बेटी वहन नही देना चाहते है। श्री मुंडा ने कहा कि मोटर साईकिल कैसी होती है हम नहीं जानते है।
ग्रामिण पारा शिक्षक सुमन सिंह मुंडा नंे कहा कि गांव से एनएच 33 निकले के गांव से 20 से 25 किमी दुर पैदल जंगल पार कर आना पड़ता है। श्री मुंडा ने कहा कि ग्रामिण हर शुक्रवार को बैठर गांव का बिकास के लिए चर्चा करते है। एंव ग्रामिणों ने श्रमदान कर कुछ दुर तक जंगल काट कर सड़क बनाया है।
ग्रामिण प्रदीप सिंह मुंडा बीएपास के छात्र है और उन्होने कहा कि अवतक देश व राज्य के सरकार गरीव आदिवासीयो के साथ धोका कर रहै है। गरीवों के नाम पर सिर्फ राजनीति ही करते है।
ग्रामिण बिरेन्द्र सिंह मुंडा ने कहा कि तानीसिया गांव के साथ साथ मुटूदा, रंगामाठिया, रहेड़दा, हाथिकोचा लालाबेड़ा गांव में सड़क नही होने के कारण ग्रामिण पांच छःह जंगल पार कर एनएच 33 पहुॅचते है। श्री मुंडा ने कहा कि गांव वेटीया बर्ग पांच से अधिक की शिक्षा ग्रहन कर सकती क्योकि गांव में मध्य बिद्याालय नहीं है। जिके कारण बेटी वहन को पंचम बर्ग तक ही पढ़ा सकते है।

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