सिमरी बख्तियारपुर(सहरसा) ब्रजेश भारती ।
मानवता शर्मसार : ढ़ाई गज कफन भी नशीब नही हुआ ट्रेन से कटे अज्ञात को
मानसी जीआरपी ने बिना कफन ही प्लेटफार्म पर रखा शव
रविवार की सुबह सहरसा-मानसी रेलखंड के सिमरी बख्तियारपुर रेलवे स्टेशन पर ट्रेन के आगे कुद एक अज्ञात अधैड़ ने अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। करीब पौने आठ बजे के करीब सहरसा से पटना जाने वाली कोशी एक्सप्रेस ज्योहि इस स्टेशन से खुली एकाएक सभी की नजर ठीक स्टेशन अधीक्षक के केबिन से चंद कदमों की दुरी पर एक नंबर रेलवे लाईन पर पड़ी जहां एक अधैड़ ने पटरी पर अपना आधा शरीर का हिस्सा रख इस दुनिया को सदा के लिये अलविदा कह चुका था। आसपास के लोग उस मृतक आत्मा बचे शरीर को पहचानने की कोशिश की पर किसी ने उस शव को पहचान नही सका।अंतत: घटना की सुचना मानसी जीआरपी पुलिस को दी गई।रेल पुलिस आई शव को एक स्ट्रेचर पर रख उसे प्लेटफार्म पर रख दिया आते जाते लोग शव को देख पहले पहचानने की कोशिश करता पर जब पहचान नही होती तो जेब में हाथ डाल दो चार रूपये शव पर चढा़ आगे निकल जाता। सुबह से लेकर शव को पोस्टमार्टम के लिये मानसी ले जाने के दौरान आज के इस युग में रेल जीआरपी पुलिस को कौन पुछे किसी आम जन ने उस अज्ञात अधैड़ के शव पर ढ़ाई गज कफन देना मुनासीब नही समझा। पैर में जुता कमर में लुंगी पहने,उजला गंजी,सर्ट के उपर कम किमत के जैकेट पहने वह अधैड़ तो पटरी पर अपना शरीर रख दुनिया को अलविदा कह दिया लेकिन अपने पीछे सबसे बड़ा सवाल छोड़ गया कि क्या मनुष्य इतना श्वार्थी हो गया है कि एक अज्ञात शव को कोई ढ़ाई गज कफन भी खरीद कर नही डाल सकता था ?
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