रांची-रघुवर दास के खिलाफ हवा बना रही आदिवासी लाबी, खामोश हुए अर्जुन मुंडा

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भाजपा के आदिवासी विधायक इसमें सबसे आगे
-गैर आदिवासी सीएम खटक रहा स्थापित आदिवासी नेताओं को
-सीएनटी-एसपीटी एक्ट संशोधन अध्यादेश भी बनेगा बहाना
-राज्यसभा चुनाव का सीडी प्रकरण भी कर रहा कमजोर
पालिटिकल एडिटर,
बिहार-झारखंड न्यूज नेटवर्क
रांची।
झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास की राह में कम कील-कांटे नहीं हैं। लगभग बीस माह के कार्यकाल में उन्होंने वन मैन शो को झारखंड में स्थापित किया है। जो किया अपनी मर्जी से किया और किसी के विरोध की परवाह नहीं की। चाहे आननफानन में स्थानीय नीति लागू करने का मामला हो या राज्यसभा चुनाव में पर्याप्त संख्या बल नहीं रहते हुए भी दो प्रत्याशी खड़ा करना और दोनों को साम, दाम, दंड, भेज से जीताकर भेजना उनकी उपलब्धि रही। रघुवर दास की यही तेजी उनकी राह का बाधा बन रही है। राज्य के पहले गैर आदिवासी मुख्यमंत्री के कारण वे भाजपा समेत अन्य दलों में स्थापित आदिवासी नेताओं को खटक रहे हैं, उनकी आंखों की किरकिरी बने हुए हैं। ताजा मामला अंग्रेजों के जमाने में आदिवासी जमीन के संरक्षण के लिए बने सीएनटी एक्ट में संशोधन का है। इसके साथ एसपीटी एक्ट में भी संशोधन का प्रस्ताव राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए भेजा गया है। इसके माध्यम से कवायद यह की जा रही है कि आसानी से निवेशकों को जमीन उपलब्ध कराया जाए। जबकि विपक्ष का आरोप है कि सरकार बड़े कारपोरेट घरानों के लिए आदिवासियों के हितों के साथ खिलवाड़ कर रही है।
विधानसभा के हालिया मानसून सत्र में इस मसले पर सदन बाधित रहा। झामुमो राष्ट्रपति भवन तक का दरवाजा खटखटा चुका है। जानकारी के अनुसार सत्ताधारी भाजपा में इसे लेकर विरोध की स्थिति है। सारे अादिवासी विधायक इसके विरोध में हैं। संभव है कि जल्द हीं विधायकों का कुनबा अपनी भावना से पार्टी आलाकमान को अवगत कराने दिल्ली का रूख करे।
रघुवर दास को राज्यसभा सीडी प्रकरण ने कमजोर किया है। इस सीडी में उनके करीबी सलाहकार अजय कुमार और राज्य के अपर पुलिस महानिदेशक अनुराग गुप्ता भाजपा के पक्ष में वोट मैनेज करते सुने जा सकते हैं। सीडी में स्वयं मुख्यमंत्री रघुवर दास ने एक विधायक निर्मला देवी के पति योगेंद्र साव से मुलाकात की। योगेंद्र साव विवादित रहे हैं। उनके मुताबिक वोट देने के लिए सीएम ने उन्हें पांच करोड़ रुपए का आफर दिया। उनका दावा है कि वोटिंग के दौरान अबसेंट रहने के लिए कांग्रेस के विधायक देवेंद्र सिंह उर्फ बिट्टू सिंह ने पांच करोड़ रुपए लिए जबकि झाविमो के प्रकाश राम को भी इतनी ही रकम क्रास वोटिंग के लिए दी गई।
रघुवर की हनक, खामोश हैं मुंडा
मुख्यमंत्री रघुवर दास के राजनीतिक जीवन में ऐसे भी मौके आए जब उन्हें भाजपा की राजनीति से साइड कर दिया गया। ऐसे बुरे वक्त में भी उन्होंने संयम नहीं खोया। अर्जुन मुंडा उन्हें एकदम पसंद नहीं करते। रघुवर दास भी मुंडा को भाव नहीं देते। यही वजह है कि जबसे रघुवर दास मजबूत हुए हैं, अर्जुन मुंडा की बोलती बंद हो गई है। शायद उन्हें इस बात का खौफ सता रहा है कि मजबूत रघुवर दास कहीं उनकी राजनीति का खात्मा न कर दें। यही कारण है कि भीतरखाने तो अर्जुन मुंडा खेमेबंदी करते हैं लेकिन रघुवर दास के सामने खींसे निपोरे नजर आते हैं। रघुवर दास की हनक से झारखंड में उनकी एक नहीं चल रही है।
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