
रवि कुमार झा,बहारागोङा,जमशेदपुर,19 अप्रैल
जमशेदपुर शहर से 90 किलोमीटर दुर बहारागोङा प्रखण्ड का गोपालपुर पंचायत का नेकङागूजी गांव आर्दश गांव का दर्जा मिलने के बाद भी मुलभुत सुविधा का अभाव है वर्ष 2012 में इस गांव को सरकार के द्वारा आर्दश गांव का दर्जा दिया गया था लोकिन दो साल बीत जाने के बाद भी आज तक यह गांव में कोई भी परिर्वतन नही हो पाया हैं।
मुलभूत सुविधा के अभाव
घाटशिला अंनुमंडल के बहारागोङा प्रखण्ड में गोपालपुर पंचायत में पङनेलवाले नेकङागुंजी गांव की अबादी लगभग एक हजार है इस गांव में आदिवासी समुदाय के लोगो की जंऩसंख्या अघिक है .वर्ष 2012 में इस गांव को आर्दश गांव के रुप में चिन्हीत किया गया था।लेकिन इस गांव में मुलभुत सुविधाओ का अभाव है .इस गांव के ग्रामीण भुवन हांसदा ने बताया कि लगभग 90 घर के वाले गांव मे न तो शौचालय ,न स्वास्थय,ऩ शिक्षा और तो न सङक की कोई व्यस्था की गई है ।हांसदा ने बताया कि इस क्षेत्र में स्वास्थय सुविधा उपलब्ध नही रहने से यहाँ के ग्रामीण ईलाज के लिए पश्छिम बंगाल के मिदनापुर जाते है.और जाने के लिए जो एक मात्र रास्ता है उस रास्ता में एक बङा नाला पङता है गर्मी के दिनो में तो दिक्कत नही होती है लेकिन बरसात के दिनो में नाला में पानी भर जाने से आनेजाने में परेशानियो का सामना करना पङता है गांव वालो के सहयोग से एक बांस पुल का निर्माण का किया गया है वो भी फिलहाल टुटा हुआ है लेकिन सरकार के द्वारा इस ओर कोई ध्यान नही हुआ हैं. इसी गांव के छात्र छोटु हांसदा ने कहा कि शिक्षा की कोई सुविधा नही रहने के काऱण हमलोग यहां से 20 से 25 किलोमीटर जाकर शिक्षा को ग्रहण करते है।इसी प्रकार की समस्या गांव के कई लङको ने बताई ।कई गांव के बच्चे तो हॉस्टल में रहकर अपनी शिक्षा को पुरी कर रहे है।
खेती
इस गांव के लोग खेती पर निर्भर है इस गांव के लोग धान,गेहुँ ,बदाम और मुंगदाल की खेती होती हैं।इसके अलावे गांव सब्जी की भी खेती अच्छी होती हैं..और फसल काफी अच्छा यहां पर होती है।इस कारण यहां के ग्रामीण आर्थिक स्थिती में काफी मजबुत होते है और गांव में पढाई की सुविधा उपलब्ध नही रहने के कारण अपने बच्चो के पढाई के लिए बाहर भेजते हैं
पश्छिम बंगाल से सटा है गांव
नेकङागुजी गांव पश्छिम बंगाल के पश्छिम मिदनापुर से सटा हुआ है इस गांव के उस पार महुली ,बेलीबेङा बलिया,बजवागुङी,रनहुवा, गोपीबल्लभपुर जैसे गांव है और गोपीबल्लभपुर में स्वास्थय सुविधा की स्थिती काफी अच्छी खासी है इस कारण झारखंड के ग्रामीण यहां ईलाज के दृष्टिकोण से जाते हैं। इस कारण इस गांव के ही नही आसपास के गांव के ग्रामीण भी इस गांव के रास्ते का इस्तेमाल करते है।चुकि इस गांव से होकर जाने से ग्रामीणो को 50 से 60 किलोमीटर की बचत होती है इस गांव को पश्छिम बंगाल के बीच एक नाला पङता है जिसमे पुल नही है हालाकि पानी रहने से लोग तो नाला मे होकर पार कर लेते है लेकिन बरसात के दिनो में ग्रामीणो को काफी दिक्कतो का सामना करना पङता है ।फिर ग्रामीणो के सहयोग से लकङी का पुल बनाया जाता है लेकिन फिलहाल यह पुल टुटा पङा है बरसात के पुर्व चंदा करके पुल को ग्रामीणो द्वारा तैयार कर लिया जाता है ताकि इस गांव के ग्रामीणो के अलावा आसपास के गांव के लोगो को परेशानी नहो .
किसे दिया जाता है आर्दश गाँव को दर्जा
पुर्वी सिंहभुम के एडीसी गणेश कुमार के अनुसार वैसा गांव जो काफी पिछङा गांव है उस गांव को खुशहाल बनाने के उद्देश्य से एक आर्दश गांव को चुना जाता है जिसका एक तय सीमा में विकास का किया जा सके ।