
वि़जय सिंह ,बीजेएनेन ब्यूरों,जमशेदपुर,14 मार्च
चुनाव में कौन जीतता है और कौन दूसरे नम्बर पर रहता है, इस बात के अलावा जो बात लोगों को दिलचस्प लगती है वह है कि कितने प्रत्याशी अपनी जमानत बचा सके। यदि प्रत्याशी अपनी जमानत बचा लेते हैं तो यह भी उनके लिए गर्व की बात होती है, जबकि जमानत के जब्त होने को अक्सर अपमानजनक समझा जाता है। भारत के निर्वाचन आयोग के नियमों के अनुसार यदि प्रत्याशी मतदान के कुल वैध मतों के कम से कम छठे भाग के बराबर मत प्राप्त करने में विफल रहता है तो उसकी जमानत की राशि सरकारी खजाने में जमा हो जाती है।

1951-52 के पहले लोकसभा चुनाव में लगभग 40 प्रतिशत अर्थात् 1874 उम्मीदवारों में से 745 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई। तब से लगभग सभी लोकसभा चुनावों में जमानत के जब्त होने की संख्या बढ़ती गई। जमानत जब्त होने वालों की संख्या 1996 में हुए 11वीं लोकसभा के चुनावों में सबसे अधिक रही। उस समय 13952 प्रत्याशियों में से 12688 प्रत्याशियों अर्थात् 91 प्रतिशत उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। इस चुनाव में लोकसभा का चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की संख्या भी सबसे अधिक थी। इस संदर्भ में 2009 में हुआ पिछला लोकसभा चुनाव भी प्रत्याशियों के लिए अधिक अच्छा नहीं रहा। इसमें भी 85 प्रतिशत प्रत्याशियों की जमानतें जब्त हो गईं। प्रतिशत की दृष्टि से जमानत जब्त होने के मामलों में 1996 के चुनावों में 91 प्रतिशत और 1991 के चुनावों में 86 प्रतिशत के बाद जमानत जब्त होने वालों का यह तीसरा सबसे बड़ा चुनाव था। इससे पता चलता है कि जमानत का जब्त होना चुनाव लड़ने में बाधक नहीं रहा है।
राष्ट्रीय दलों के प्रत्याशी अपनी जमानत बचाने में बेहतर रहे हैं। 1951-52 में हुए पहले चुनावों में राष्ट्रीय दलों के 1217 उम्मीदवारों में से 344 अर्थात् 28 प्रतिशत प्रत्याशियों की जमानतें जब्त हुई। 1957 में हुए अगले चुनावों में स्थिति में सुधार हुआ। इस समय 919 प्रत्याशियों में से केवल 130 प्रत्याशियों अर्थात् 14 प्रतिशत उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई। 1977 के आम चुनावों में राष्ट्रीय दलों का निष्पादन सर्वोत्तम रहा। इन चुनावों में 1060 प्रत्याशियों में से केवल 100 प्रत्याशी अर्थात 9 प्रतिशत की जमानत जब्त हुई। तुलनात्मक दृष्टि से 2009 का आम चुनाव राष्ट्रीय पार्टियों के प्रत्याशियों के लिए उतने अच्छे नहीं रहे क्योंकि इसमें लगभग हर दूसरे प्रत्याशी की जमानत जब्त हो गई। 2009 में राष्ट्रीय दलों के 1623 प्रत्याशियों में से 779 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। राष्ट्रीय दलों के प्रत्याशियों की स्थिति 11वीं लोकसभा के चुनावों में सबसे अधिक खराब रही। यहां 1817 प्रत्याशियों में से 897 अर्थात् 49 प्रतिशत प्रत्याशियों की जमानतें जब्त हो गईं।
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