संजंय कुमार सुमन
मधेपुरा
जिले के चौसा प्रखंड अन्तर्गत घोषई के केलाबाड़ी एवं कलासन में लगभग 25 वर्ष पूर्व कृषि उत्पादन बाजार समिति बिहारीगंज द्वारा लाखों रूपये की लागत से बनाए गये निर्मित शेड हाट ब्यापारियों के लिए अभिशप्त बन कर रह गया है। शेड बनने का फायदा ब्यापारियों को नही मिल पाया। एक दिन भी इस शेड के नीचे बाजार लग जाता तो इसकी सारगर्भिता सच हो जाती।
मालूम हो कि कृषि उत्पादन समिति बिहारीगंज द्वारा अपने क्षेत्र में पड़ने वाले हाटों में ब्यापारियों को धूप एवं बरसात के दिनों में भी अपने सामानों की बिक्री करने में असुविधा नही हो इसके लिए हाटों में लाखों रूपये की लागत से शेड का निर्माण करवाया गया। परन्तु चौसा प्रखंड अन्तर्गत धोषई के केलाबाड़ी एवं कलासन बाजार में निर्मित शेड निर्माण काल से ही अपने वास्तविकता से कोसो दूर रहा।शेड रहने के बावजूद ब्यापारी खुले आसमान के नीचे सामान बेचने को विवश है। इस और कभी ना तो स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने ध्यान दिया और ना ही कभी पदाधिकारियों ने।ब्यापारी सड़को पर सामान बेचते हैं जिसके कारण आवागमन में काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। प्रत्येक दिन लगने वाले हाट में इतनी भीड़ होती है कि पैदल चलना भी बड़ी मुश्किल हो जाता है। इतना ही नही सब्जी,मांस एवं मछली विक्रेता द्वारा कचरा को जहीं तहीं फेंक कर अंबार लगा दिया जाता है। जिससे सरांध्र निकलने लगता है और कई तरह की बीमारी भी फैलने की आशंका आस-पास के नागरिक एवं हाट में आने वाले लोग,ब्यापारियों को लगी रहती है। बाजार समिति के संवेदक कभी उसके साफ सफाई पर ध्यान नही देता है।
जिस मकसद को लेकर बाजार समिति द्वारा शेड का निर्माण करवाया गया वह मकसद पूरा होते नही दिख रहा है। शेड लावारिस अवस्था में है जिसे कोई देखने वाला नही है। लोगों का मानना है कि जब बाजार नही लगाया जाना था तो लाखों रूपये खर्च करके क्यों शेड बनाया गया।लोगों के बीच यह सवाल यक्ष बन कर रह गया है।
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