जमशेदपुर -बैसाखी पर दिखा हुकुमनामा एवं सरकारी आदेश का असर घरों में बैठकर सिखों ने मनाई बैसाखी, टीवी से होती रही निहाल

बैसाखी पर दिखा हुकुमनामा एवं सरकारी आदेश का असर
घरों में बैठकर सिखों ने मनाई बैसाखी, टीवी से होती रही निहाल
जमशेदपुर। विश्वव्यापी कोरोना महामारी के कारण श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार सिंह साहिब ज्ञानी हरप्रीत सिंह जी एवं देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अपील का व्यापक प्रभाव सिखों पर पड़ा। सिखों के महान पर्व खालसा सृजना दिवस के मौके पर सोमवार को शहर के गुरुद्वारों में इक्का-दुक्का की संख्या में ही संगत नजर आई। हां गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पदाधिकारी सोमवार को गुरुद्वारों में अपनी उपस्थिति देते हुए नजर आए। इन पदाधिकारियों ने श्री अकाल तख्त एवं प्रधानमंत्री के अपील का हवाला देते हुए संगत को सोशल डिस्टेंस बनाए रखने का हवाला दिया और यह भी कहा कि गुरुद्वारा साहब में किसी प्रकार का लंगर अथवा कीर्तन दरबार या अन्य आयोजन नहीं होगा।
हां पंथिक मर्यादा के मद्देनजर सोमवार की सुबह साकची, नामदा बस्ती, टुईला डूंगरी, सोनारी, टेल्को, रिफ्यूजी कॉलोनी गुरुद्वारा में श्री अखंड पाठ का भोग डाला गया । तो मानगो, बारीडीह में सहज पाठ का भोग डाला गया तथा वैशाख महीने की संगरांद सुनाई गई। गुरुद्वारों में लंगर की बजाय केवल कड़ा प्रसाद ही संगत के बीच वितरित किया गया।
गुरुद्वारा में जाकर मत्था टेकने की बजाए संगत सुबह से ही टेलीविजन पर तथा ऑनलाइन माध्यम से श्री दरबार साहिब अमृतसर, तखत श्री दमदमा साहिब साबो की तलवंडी, बांग्ला साहिब, तखत श्री हरिमंदिर साहिब पटना, तखत श्री केसगढ़ साहिब आनंदपुर, तखत श्री हजूर साहिब नांदेड़ से जुड़ी रही और वहीं से प्रसारित वैशाख महीने की संगरांद, खालसा सृजना दिवस की आवश्यकता, गुरबाणी कीर्तन इतिहास का श्रवण करती रही।
लोहनगरी में अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष गुरुदेव सिंह राजा, प्रधान हरविंदर सिंह मंटू ने साकची गुरुद्वारा, सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान सरदार महेंद्र सिंह ने नामदा बस्ती में मत्था टेका और वही गुरु का शुकराना अदा किया। तखत श्री हरिमंदिर साहब प्रबंधन कमेटी पटना के उपाध्यक्ष सरदार इंद्रजीत सिंह ने अप्रैल को गुरुद्वारा तथा झारखंड गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान सरदार शैलेंद्र सिंह ने स्टेशन रोड जुगसलाई में मत्था टेका और वैशाखी की ऐतिहासिक सार्थकता पर प्रकाश डाला।
वहीं कोल्हान के सभी 34 गुरुद्वारों में कोरोना महामारी से मानवता को मुक्ति दिलाने के लिए अरदास की गई।
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