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टाटा स्टील के द्वारा चल रहे आदिवासी कनक्लेव संवाद का हुआ समापन

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संवाददाता,जमशेजपुर .19 नवम्बर

 

टाटा स्टील ट्राइबल कल्चर सोसायटी की ओर से गोपाल मैदान में चल रहे चार दिवसीय ट्राइबल कानक्लेव ‘संवादÓ ट्यूजडे को कॉन्क्ल्यूड हो गया. इस दौरान ट्राइबल की प्राब्लम के साथ ही कई अन्य पहलूओं पर भी डिस्कशन के जरिए उनके रिक्वायरमेंट को समझने का प्रयास किया गया.

 

ट्राइबल प्रोटेक्शन ऑफ नेचुरल हैबिटेट पर हुआ डिस्कश्न

कानक्लेव के लिए बनाए गए दो ऑडिटोरियम मंथन व चिंतन में पैनल डिस्कशन आर्गनाइज किया गया. इस दौरान ट्राइबल लैंग्वेज व ट्राइबल प्रोटेक्शन ऑफ नेचुरल हैबिटेट पर चर्चा की गई. डिस्कशन के दौरान पैनलिस्ट्स ने ट्राइबल की प्राब्लम को पूरी तरह जीवंत कर दिया.

 

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कंट्री में 8 परसेंट है आदिवासियों की आबादी

कान्क्लेव के दौरान डॉ फेलिक्स पेडल ने मॉडेरेटर की भूमिका निभाई. इस दौरान करमा उरांव ने कहा कि कंट्री में पूरे पॉपुलेशन का 8 परसेंट आदिवासियों का स्थान है. इसके बावजूद वे नेग्लेक्टेड हैं और उन तक डेवलपमेंट की किरण नहीं पहुंची है. उन्होंने कहा कि आदिवासी प्रकृति के साथ प्यार से रहना पसंद करते हैं.

 

प्रकृति है आदिवासियों का रेलिजियस सिम्बॉल

पैनल डिस्कशन के दौरान केसी माझी ने कहा कि आदिवासी पूरी तरह से प्रकृति के साथ जुड़े रहते हैं. उन्होंने कहा कि प्रकृति उनका धर्म व धार्मिक सिम्बॉल है. जादव पेनांग ने ट्राइबल्स व प्रोटेक्शन ऑफ नेचुरल हैबिटेट पर कहा कि उन्होंने खुद बड़े पैमाने पर प्लांटेशन किया है. इस दौरान प्रो गिरधारी राम गुंझु, कांजीभाई पटेल, डॉ नारायनन, डॉ राजकिशोर नायक सहित अन्य ने भी अपने विचार दिए.

 

2000 से ज्यादा ट्राइबल आर्टिस्ट्स ने किया परफॉर्म

चार दिवसीय कानक्लेव के दौरान 2000 से ज्यादा ट्राइबल आर्टिस्ट्स ने परफॉर्म किया. इस कान्क्लेव में कंट्री के 19 स्टेट अंडमान-निकोबार, आंध्र प्रदेश, असम, छत्तिसगढ़, जम्मू व कश्मीर, त्रिपुरा सहित अन्य स्टेट से 40 डिफरेंट ट्राइब्स शामिल हुए.

 

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