
विजय सिंह ,बी.जे.एन.एन. ब्यूरो
झारखंड के १४ लोकसभा सीटों में से एक जमशेदपुर लोकसभा सीट काफी महत्वपूर्ण माना जाता है.देश की दो बड़ी प्रतिष्ठित टाटा घराने की टाटा स्टील और टाटा मोटर्स कंपनियों के अलावा यहाँ कई और बड़ी ,माध्यम और छोटी कंपनियां हैं.साधन संपन्न जमशेदपुर सीट की अपनी पहचान है क्योंकि राजधानी रांची के बाद (या कहें उससे भी पहले) सबसे महत्वपूर्ण शहर जमशेदपुर ही है.
बहरागोड़ा ,घाटशिला,पोटका ,जुगसलाई ,जमशेदपुर पूर्व और जमशेदपुर पश्चिम इन ६ विधान सभा क्षेत्रों को मिला कर बने जमशेदपुर लोकसभा क्षेत्र से वर्त्तमान में झारखण्ड के प्रथम मुख्यमंत्री (पूर्व) बाबूलाल मरांडी की अगुआई वाली झारखंड विकास मोर्चा से जमशेदपुर के पूर्व आरक्षी अधीक्षक डॉ.अजय कुमार सांसद हैं.आरक्षी अधीक्षक के रूप में अपने तेज तर्रार व्यक्तित्व,जन संपर्क में माहिर और एस.पी. के रूप में किये गए कार्यों की वजह से २०११ के उपचुनाव (अर्जुन मुंडा के छोड़ने से खाली हुए सीट )
में जनता ने डॉ अजय को सर माथे पर बैठाया और पार्टी से ऊपर उठ कर उन्हें समर्थन देकर लोकसभा में भेजा.सांसद के रूप में कार्यकाल ठीक ठाक रहा और जनता के बीच में उनकी उपस्थिति बराबर बनी रही. लोगों को सांसद से मिलने या बात करने ,समस्या सुनाने में बिचौलियों की भूमिका नही दिखी.अपने व्यवहार से भी डॉ अजय ने लोगों का दिल जीता. हाँ राजनीतिक गलियारे में उनकी निंदा भी होती रही .विपक्ष उनके सिपहसालारों के आचरण पर भी ऊँगली उठता रहा.हो सकता है कुछ लोग चुनाव में उनसे इसका हिसाब भी मांगे.लेकिन आम मतदाताओं का आज भी डॉ अजय से मोह भंग नहीं हुआ है.
देश में मोदी के नाम पर भाजपा केंद्र की कुर्सी पर काबिज़ होने के लिए तमाम प्रयास कर रही है.जमशेदपुर में भाजपा प्रत्याशी बहरागोड़ा से झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक विद्युत वरन महतो मैदान में हैं.झारखंड मुक्ति मोर्चा की छत्रछाया में राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले विद्युत की पहचान एक सम्पूर्ण झारखंडी (जे.एम.एम.) नेता की है. आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र में उनके सहयोगियों की मर्जी के बिना कोई काम नहीं होता.उद्योग लगाना हो या घर मकान ,सामग्री उनके सहयोगियों से ही लेना होगा,यह आरोप कई लोगों ने लगाया.महत्तपूर्ण बात यह कि भाजपा को अपनी पार्टी के भीतर एक भी ऐसा कार्यकर्ता या नेता नहीं मिला जो उन्हें प्रत्याशी बना पाते.दूसरी पार्टी से तोड़कर प्रत्याशी आयात करना पड़ा. भाजपा और मोदी लहर की गूज के बावजूद आम मतदाताओं के बीच यह एक बड़ा प्रश्न है. वैसे विद्युत भी युवा हैं और भाजपा ,मोदी और स्थानीय का लाभ उन्हें मिल सकता है.महत्वपूर्ण यह भी है कि विद्युत तमाम विरोधों के बावजूद झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा के कारण भाजपा में आये हैं ,तो मुंडा पूरी ताकत जरूर झोकेंगे.
झारखंड की राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाली झारखंड मुक्ति मोर्चा से टाटा स्टील के पूर्व वी.पी. निरूप महंती मैदान में हैं.टाटा स्टील के अधिकारी के अलावा उनकी अपनी कोई विशेष पहचान नहीं है और न ही कंपनी के उच्च पदों पर रहते हुए महंती ने जमशेदपुर निवासियों या युवाओं के लिए कुछ विशेष काम किया. ओड़िया भाषी होने के कारण महंती को ओड्डिया वोटरों पर भी भरोसा है साथ ही जे.एम.एम के अपने वोट बैंक के लाभ की उम्मीद है.झारखंड में कांग्रेस का जे.एम.एम. के साथ गठबंधन है ऐसे कांग्रेस महंती के पक्ष में कितना मतदान करवा पाती है ,यह कांग्रेस के कर्णधारों पर निर्भर है.झारखंड मुक्ति मोर्चा भी इस सीट को प्रतिष्ठा की सीट मानते हुए स्वयं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जमशेदपुर में कैंप कर रहे है.
पहली बार चुनाव लड़ रहे समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता दी.जी .राजा सबसे साधन विहीन प्रत्याशी हैं.अपने तरह से बगैर ताम झाम के जमीन से जुड़ कर घर घर मोहल्ले मोहल्ले अपने कुछ साथियों के साथ गावों देहात तक खाक चन चुके हैं.साधन विहीनता के बावजूद जोश में कमी नहीं है परन्तु लोकसभा चुनाव में जहाँ साम दाम सब कुछ जरुरी हो गया है ,राजा मतदाताओं को कैसे अपने पक्ष में वोट डालने को प्रेरित कर पाये हैं ,यह तो समय ही बताएगा.
प्रत्यक्ष देखने पर फिलहाल जमशेदपुर लोकसभा में मुकाबला कंघी ,कमल और तीर धनुष के बीच ही है.
Comments are closed.