DHANBAD – आम सहमति बनाकर पर्यावरण संकट को कम करने पर विचार करे, और उन विचारों को क्रियान्वित करे- सरयू राय

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DHANBAD

स्वयंसेवी संस्था ‘युगान्तर भारती’ एवं नई दिल्ली की संस्था ‘लीगल इनिशिएटिव फॉर फॉरेस्ट एंड एनभायरमेंट (लाईफ)’ के संयुक्त तत्वाधान में उत्तरी छोटानागपुर क्षेत्र में पर्यावरणीय चुनौतियाँ विषय पर आयोजित कार्यशाला के दूसरे और अंतिम दिन मुख्य अतिथि और झारखण्ड विधान सभा के वरिष्ठ सदस्य, श्री सरयू राय ने कहा कि इस संगोष्ठी में दो दिनों तक सार्थक चर्चा हुई। अनेक सूचनाएँ-जानकारी मिली, समझदारी कायम हुई। शोध और बौधिकता पर विशेषज्ञों ने अपना-अपना वक्तव्य दिया। अब हमें देखना होगा कि कैसे हम सीमा-मर्यादा के अनुसार आचरण करे। पर्यावरण संकट को न्यूनतम करने पर भी गंभीर विचार करना होगा। शासन में बैठे लोग, योजनाकार एक समझदारी बनाये और आम सहमति बनाकर पर्यावरण संकट को कम करने पर विचार करे, और उन विचारों को क्रियान्वित करे। इसमें कोई राय नहीं है कि देश को आगे बढ़ना चाहिए लेकिन हमें अविवेकपूर्ण निर्णय से बचने की आवश्यकता है। पर्यावरण के प्रतिकूल प्रभाव से जीव-जन्तु, जैव-विविधता, पर्यावरण और स्वास्थ्य, हर जगह अनेकानेक समस्याएं पैदा हो रही है। पर्यावरण के विभिन्न आयामों में दुष्कर प्रभाव डालने जैसे कामों से हमें बचना चाहिए। सरकारी सिस्टम में भी यह भावना उत्पन्न हो और लोगों के जीवनस्तर बेहतर बनाने पर विचार हो, ऐसे जरूरतों, उपायों को अमल में लाने की आवश्यकता है। श्री राय ने कहा कि अगर बायें हाथ से काम करने पर दायें हाथ को तकलीफ हो तो ऐसे में एक आपसी सामंजस्य बनाने की आवश्यकता है ताकि किसी एक को भी किसी तरह की दिक्कत, परेशानी न हो। वर्तमान समय विशेषज्ञों का है। शासन को चाहिए कि इन विशेषज्ञों की राय लेकर ही नीति और नीयत को निर्धारित करे, मनोवृति के अंतर को कम करने की आवश्यकता है। 15वें वित्त आयोग में व्यापक वायु गुणवत्ता मद में नगरपालिकाओं को बहुत बड़ी धनराशि दी गई है। उनका सोच यह है कि खर्च करने से वायु गुणवत्ता में सुधार होगा। आजकल राजनीतिक घोषणापत्र में भी र्प्यावरण का हिस्सा कहीं कोने में छोटा सा हो गया है। आज हमें इन मुद्दों को सामाजिक-राजनीतिक और जनचेतना के रूप में घर-घर तक पहुँचाने की जरूरत है। अगर आप पर्यावरण पर प्रदूषण के असर के मुद्दे को देश की चिन्ता, पर्यावरण की चिन्ता के उपर छोड़ भी दे तो भी यह आपके स्वास्थ्य पर जो हानिकारक प्रभाव पड़ रहा है, इस पर गंभीरतापूर्वक विचार करना चाहिए। इस दो दिवसीय संगोष्ठी से एक ठोस संदेश उभरा है कि पर्यावरण संकट एक गंभीर मुद्दा है और खासकर उत्तरी छोटानागपुर में पर्यावरण क्षेत्र में काफी चुनौतियाँ है।

प्रथम तकनीकी सत्र की अध्यक्षता विशिष्ट अतिथि और ‘सिम्फर’, धनबाद के निदेशक डा. प्रदीप कुमार सिंह ने किया। उन्होंने बताया कि नीतिगत मुद्दों पर ध्यान देने की आवश्यकता है। वर्ष 2030 तक 450 गीगावाट ऊर्जा उत्पादन करने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें अगर हम कोयले के माध्यम से दस प्रतिशत भी योगदान करे तो यह एक बहुत बड़ी उपलब्धी होगी। ‘कोल बेड मिथेन (सीबीएम)’ लॉजिस्टिक और आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करना अत्यंत आवश्यक है। कोल बेड मिथेन, 5 प्रतिशत मिथेन गैस पर्यावरण में उत्सर्जित करता है। अगले 30 वर्षों तक कोयले की माँग कम नहीं होनेवाली है क्योंकि अगर वर्ष 2030 तक 450 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा बनाने के लिए लिए कोयले को योगदान देना पड़ेगा। फिलहाल हमलोग भारत में 2012 मिलियन टन कोयला आयात करते है। यह आयात लगभग 30 प्रतिशत है। श्री सिंह ने कहा कि हमारे पास प्राकृतिक संसाधनों का भंडार है और भारत के पास क्षमता है कि हम सस्ते से सस्ते दर पर बिजली उत्पादन करे। इसलिए कोयले का उत्पादन बढ़ाने की आवश्यकता है ताकि कोयले का आयात नगण्य हो सके। सिम्फर के सेवानिवृत वैज्ञानिक, डा. अजय कुमार सिंह ने सीबीएम गैस बनने की प्रक्रिया को समझाते हुए कहा कि ग्लोबल वार्मिंग में कार्बन डाइऑक्साइड से 21 गुना ज्यादा मिथेन गैस का योगदान रहता है। इसके अलावा खनन क्षेत्र में मिथेन की वजह से सुरक्षा का संकट भी हमेशा बना रहता है। सिम्फर के ही डा. डी मोहन्ती ने बताया कि 1901 से 2015 के बीच कोलयरी में कुल 35 धमाके हुए थे, जिसमें से सबसे खतरनाक धमाका ‘धुरी’ कोलियरी में हुआ था जिसमें 268 खननकर्ताओं की मृत्यु हुई थी। सिम्फर के ही श्री रिदेश अग्रवाल ने बताया कि कोयला से जो मरकरी (पारा) निकलता है उसका पर्यावरण में बहुत ही प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। जापान में वर्ष 1956 में ‘मीनामाटा’ नामक एक बीमारी हुई थी। जब इस बीमारी की पहचान करने की गई तो पता चला की उस क्षेत्र के आसपास के बहुत सारे रसायनिक उद्योग है और वहाँ रहनेवाले लोग मरकरी से बुरी तरह प्रभावित हो गये है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 2013 में ‘मीनामाटा कन्वेंशन’ बनाया, जिसका मुख्य उद्देश्य कोयले से निकलनेवाली मरकरी के दुष्प्रभाव को कम करना था।

दूसरे तकनीकी सत्र में लाईफ के सुश्री तन्वी शर्मा ने बताया कि झारखण्ड में ओपेन फॉरेस्ट कवर बढ़ा है। जबकि धनबाद और बोकारो में यह अपेक्षाकृत कमी आई है। यह कमी इसलिए आई है क्योंकि सड़क, रेल, खनन, उद्योग, ट्रांसमिशन लाईन आदि के लिए घने जंगल को काट दिया जाता है। कटने के बाद वृक्षों की संख्या कम होने पर उन्हें ओपेन फॉरेस्ट कवर कहा जाता है। सरकार ने एक रिविजनल एम्पावर कमिटि बनाया जो लगभग सभी पैचेस को फ्रैगमेंट कर देती है।

तृतीय तकनीकी सत्र में लाईफ के श्री राहुल चौधरी ने कानूनी प्रक्रिया में किन-किन दस्तावेजों की आवश्यकता होती है इस पर विस्तार से प्रकाश डाला। लाईफ के ही डा. आर.के. सिंह ने बताया कि उन दस्तावेजों को हम कैसे प्राप्त कर सकते है।
संगोष्ठी के समापन पर धन्यवाद ज्ञापन युगान्तर भारती के सचिव श्री आशीष शीतल ने किया। यह जानकारी युगान्तर भारती के कार्यकारी अध्यक्ष श्री अंशुल शरण ने दी।

श्री शरण ने बताया की दिसंबर के तीसरे रविवार में प्रदेश भर से पर्यावरणविद, पर्यावरणप्रेमी की एक संगोष्ठी रांची में होगी जिसमें आज हुए सारे विषयों पर आगे क्या करना है उसपर विचार होगा. श्री शरण ने बताया की दामोदर बचाओ आंदोलन, बिरसा मुंडा स्काउट एंड गाइड, सरवोनमुखी विकास परिषद, योजना ससंतोष विकराल, योजना विकास ट्रस्ट आदि के कार्यकर्ताओं ने कार्यक्रम को सफल बनाने में महंती भूमिका निभाई.

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धनबाद के अधिवक्ता  अमय विक्रम को भारतीय जनतंत्र युवा मोर्चा का केंद्रीय अध्यक्ष बनाया गया है.

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राज्य के भीतर युवाओं को सामाजिक – राजनीतिक कार्य में सक्रिय करने की आवश्यकता है. युवा आज के संदर्भ में समस्याओं को अपने तरीके से देखते समझते है. उक्त बातें जमशेदपुर पूर्व के विधायक और भारतीय जनतंत्र मोर्चा के संरक्षक श्री सरयू राय भारतीय जनतंत्र युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा. श्री राय ने कहा की आज की जो भी अच्छी बुरी स्तिथि देश समाज में है वो एक दिन में नही बनी है. आज मोबाइल का संसार बन गया है.

श्री राय ने कहा की युवाओं को कल्पना करनी चाहिए की कैसे जब टाइप राइटर नही था फोटो कॉपी मशीन नही थी तब लोग हाथ से लिख कर काम चलाते थे. आज हर क्षेत्र में परिवर्तन हुआ है. पिछले दशक की युवाओं को चुनौती कुछ और थी और अब चुनौतियों में बदलाव आया है. एक समय युवा समस्याओं को जनता तक पहुंचाने का काम करते थे. समय भले ही लगे लेकिन समस्या और सूचना का प्रभाव स्थाई हुआ करता था आज सोशल मीडिया में लोग समस्याओं और सूचनाओं को संग्रह नहीं कर पाते हैं. सोशल मीडिया निश्चित रूप से प्रचार-प्रसार का माध्यम है लेकिन हमें यह भी चिंतन करना चाहिए कि उसका प्रभाव युवाओं के मन में कितना होता है और कैसा होता है. आज युवा हायरिंग फायरिंग में एडजस्ट करता जा रहा है. अगर कोई कानून लागू नहीं हो पाता है सो उस कानून को कैसे लागू करें उस पर भारतीय जनतंत्र मोर्चा के युवाओं को विचार करना चाहिए. श्री राय ने कहा की भारतीय जनतंत्र युवा मोर्चा सकारात्मक राजनीति करते हुए संपर्क समस्या समाधान के मंत्र में चलेगा. धन्यवाद ज्ञापन पार्टी के अध्यक्ष श्री धर्मेंद्र तिवारी और मंच संचालन युवा मोर्चा के अध्यक्ष श्री अमय विक्रम ने किया.

 

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