
– पंद्रह दिनों में अनुबंध पर कार्यरत तीन पारा मेडिकल स्टाफ की हो चुकी मृत्यु
– झारखंड सरकार ने ना इलाज़ का खर्च दिया, ना मुआवजा मिली और ना ही पीएम गरीब कल्याण पैकेज का बीमा

नेशनल रूरल हेल्थ मिशन के तहत बहाल एएनएम अनुबंधकर्मियों की राज्य सरकार द्वारा उपेक्षा के ख़िलाफ़ पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी ने झारखंड सरकार पर संवेदनहीनता और कोरोना वॉरियर्स की उपेक्षा का आरोप लगाया। कुणाल षाड़ंगी का यह बयान ऐसे समय में आया है जब राज्य भर के एएनएम और जीएनएम कर्मियों में सरकार और मुख्यमंत्री के ख़िलाफ़ नाराज़गी है। एएनएम – जीएनएम अनुबंधकर्मी संघ ने सोमवार को राज्यस्तरीय कार्य बहिष्कार का ऐलान किया है। संघ की प्रदेश अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर कड़ा प्रहार करते हुए उपेक्षा का आरोप लगाया है। कहा गया कि मुख्यमंत्री पारा मेडिकल कर्मचारियों से मिलना नहीं चाहतें क्योंकि वे कोरोना वॉरियर्स हैं और उनसे कोरोना संक्रमण का ख़तरा अधिक है। विदित हो कि राज्य में अनुबंध पर कार्यरत दो एएनएम कर्मियों का ऑन ड्यूटी निधन हो गया है। लेकिन सरकार की ओर से कोरोना वॉरियर्स के लिए किसी प्रकार का मुआवजा नहीं दिया गया और ना ही बीमा के फॉर्म भरवाए गये हैं। इस मामले में सरकार पर उपेक्षा और अमानवीय व्यवहार का आरोप लगाते हुए पूर्व विधायक और भाजपा युवा नेता कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि अनुबंध पर कार्य करने वाले पारा मेडिकल स्टाफ़ भी कोरोना वॉरियर्स हैं। उनको भी उतना ही संक्रमण का ख़तरा है जितना अन्य कोरोना वॉरियर्स और स्वास्थ्य कर्मियों को है। लेकिन कार्य के आधार पर विभेद करना उचित नहीं है। उन्होंने माँग किया कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता अविलंब इस मामले को संज्ञान में लेकर मृत अनुबंध कर्मियों को सम्मानजनक मुआवजा दें और आश्रितों को नौकरी मुहैया कराएं। भाजपा नेता कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि पिछले पंद्रह दिनों में तीन अनुबंध कर्मियों की मृत्यु कोरोना संक्रमण के प्रसार को ऑन ड्यूटी रोकने के क्रम हो चुकी है। इनका उपचार निज़ी अस्पतालों में हुआ जहाँ सरकार के स्तर से कोई वित्तीय मदद भी नहीं दी गयी। वहीं केंद्र सरकार द्वारा घोषित प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के बीमा फ़ॉर्म भी अबतक नहीं भरवाये गये हैं। कहा कि एएनएम – जीएनएम अनुबंध कर्मियों की माँग जायज़ है और वे उनका समर्थन करते हैं। इस मामले को लेकर श्री षाड़ंगी ने ट्विटर पर वीडियो संदेश जारी करते हुए झारखंड सरकार से निवेदन किया है।
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