सुपौल- मानव शरीर बड़े भाग्य से मिलता है-परम शिष्य स्वामी व्यसानंद जी महाराज

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छातापुर (सुपौल ) सोनू कुमार \रवि रौशन |
मानव शरीर बड़े भाग्य से मिलता है ,जो कि 84 लाख योनियों में भटकाव के बाद  मिलता है |इसे यु ही सांसारिक मोह माया में फंसकर बर्बाद करने के बजाय भक्ति भजन में लगाने से ही जीवन सार्थक होता है |उक्त बाते प्रखंड मुख्यालय स्थित संतमत सत्संग आश्रम परिसर में आयोजीत ३ दिवसीय विराट ज्ञान यग्य कार्यक्रम के दुसरे दिन के प्रवचन के दौरान  संत मत के संधापक महर्षि मेही के परम शिष्य स्वामी व्यसानंद जी महाराज ने कही |उन्होंने अपने ज्ञान की गंगा बहाते हुए कहा ये संसार धरा है, जिसमे जीने के लिए धर्म की मार्ग पर चलने की आवश्यकता है |उन्होंने कहा कि मानव को अपने जीवन को जीने के लिए धर्म की राह पर चलते हुए भक्ति भजन में लीन रहना चाहिए |कहा कि संसार में मानव जन्म तो लेकर आते है |लेकिन सांसारिक भोतिकता के  प्रकाशीय रौशनी में ओझल होकर  वास्तविकता से दूर हो जाते है |मानव इस चीज को भूल जाते है कि मानव रूपी तन उन्हें क्यों प्राप्त हुआ |उन्होंने कहा कि जहा कंचन है वहा कामिनी का आना जिस प्रकार निशित है ,पुष्प पर तितली और भवरों का मंडराना निश्चित है ठीक उसी प्रकार सत्य मार्ग पर चलने वालो को मोक्ष प्राप्त होता निशित है | इधर सत्संग कार्यक्रम में बुधवार को खिली धुप रहने के कारण व्यापक भीड़ उमड़ी |इसको लेकर सत्संग स्थल पर बना भव्य पंडाल श्रधालुओ की भीड़ से खचा खच भर गया |प्रवचन कार्यक्रम में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर पुलिस प्रसाशन समेत सत्संग कमिटी के सदस्य तत्पर बने हुए दिखे |प्रवचन के दौरान मंचासीन बाबा  मकेश्वर दास ,अशोक दास ,श्याम बाबा ,सीताराम बाबा , संत सिया राम यादव ,रामचंद बाबा ,आदि रहे  | इस मौके बिन्देश्वरी भगत ,मिश्री चंद भगत ,अरविन्द भगत ,राम स्वरुप सिंह ,शिव लाल यादव , राम टहल भगत ,आलोक कुमार भगत ,डोमी प्रसाद आदि थे |

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