सिमरी बख्तियारपुर में स्वतंत्रता सेनानी सम्मान पर उठा सवाल
स्वतंत्रता सेनानी के पुत्र ने मुख्यमंत्री को पत्र भेज जांच की मांग
सिमरी बख्तियारपुर( सहरसा) से ब्रजेश भारती की रिपोर्ट :-
चंपारण सत्याग्रह शताब्दी सम्मान समारोह के तहत सहरसा जिले के वैसे स्वतंत्रता सेनानी व उनके आश्रितों को राज्य सरकार के निर्देश के आलोक सम्मानित करने का काम किया गया। जो लोग किन्ही कारणों से राजधानी पटना में आयोजित समारोह में नही जा सकें। लेकिन इस अनुमंडल क्षेत्र में स्वतंत्रता सेनानी के सम्मानित करने पर ही सवाल उठ गया है।
नगर पंचायत के रंगिनिया गांव निवासी स्वतंत्रता सेनानी स्व जियालाल मंडल के पुत्र पशुपति नारायण मंडल ने मुख्यमंत्री को पत्र भेज इस सम्मान के उच्चस्तरीय जांच की मांग कर डाली। उन्होंने पत्र में कहा कि किस आधार पर उसके परिवार को सम्मान से बंचित रखा गया जबकि उनके परिवार से पिता जियालाल मंडल व चाचा अयोध्या मंडल का नाम स्वतंत्रता सेनानी के सुची में सबसे पहले आता है। स्वतंत्रता के 25 वें वर्षगांठ पर प्रखंड मुख्यालय में लगाये गये शिलापठ आज भी इस बात का गवाह है कि वे सिमरी बख्तियारपुर के अग्रनीय स्वतंत्रता सेनानी है। उन्होंने पत्र में कहा कि अगर उसका परिवार इस सम्मान के लायक नही था तो क्यो केन्द्र व राज्य सरकार आजीवन आश्रितों को आजीवन पेंशन व अन्य सुविधा देती रही।
क्या है मामला- इस अनुमंडल क्षेत्र के तीनों प्रखंडों में जिला प्रशासन के आदेशानुसार पांच लोगों को सम्मानित करने का काम किया गया जिसमें सिमरी बख्तियारपुर,सलखुआ प्रखंड में दो दो एवं बनमा-ईटहरी में एक स्वतंत्रता सेनानी के आश्रितों को सम्मानित करने का काम किया गया। सलखुआ व सिमरी बख्तियारपुर में स्वतंत्रता सेनानी के आश्रित यानि पत्नी को सम्मानित किया गया लेकिन बनमा-ईटहरी प्रखंड में स्वतंत्रता सेनानी स्व प्रकाश यादव के भाई सूर्य नारायण यादव को सम्मानित करने का काम किया गया। जबकि स्व प्रकाश यादव की पत्नी भी जिंदा नही है तो फिर किस नियम के तहत उनके परिजनों को सम्मानित करने का काम किया।अगर नियम उनके परिजनों को सम्मानित करने का था तो फिर अन्य स्वतंत्रता सेनानी के परिवारों को उपेक्षा क्यो की गई।
क्या कहती है बीडीओ- इस संबंध में बनमा बीडीओ नुतन कुमारी से पुछे जाने पर बताई कि जिला से जो सुची प्राप्त हुआ था उसी के आधार पर उनके भाई को सम्मानित किया गया। हलांकि उन्होंने ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानी प्रकाश यादव की मृत्यु हो जाने की जानकारी वरीय पदाधिकारीयों को दे दी गई थी। लेकिन सुची में नाम व सम्मान वाली कीट दी गई तो उनके बड़े भाई को सम्मानित करने का काम किया गया।
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