मधुबनी
अजय धारी सिंह
परिवार के अन्य लोग भी हो सकते हैं शामिल। नैन्सी के हत्या के आरोप में नैंसी के अपने ही घर के पंकज झा और राघवेंद्र झा गिरफ्तार। ओवर कॉन्फिडेंस से हुआ शक था। बाद में कॉल डिटेल्स से हुआ खुलासा। नैंसी हत्याकांड मामले में नैंसी के दोनों चाचा को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। मासूम नैंसी का हत्यारा कोई और नहीं बल्कि उसके खुद के चाचा ही निकले। जानकारी के मुताबिक पुलिस हिरासत में रखे गए नैंसी के चाचा राघवेंद्र और पंकज ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया है। मधुवनी एसपी की माने तो इन्ही दोनों ने मिलकर नैंसी की हत्या कि है।
एसपी दीपक वर्णवाल ने बताया कि सख्ती से हुई पूछताछ के बाद नैंसी के दोनों चाचा ने नैंसी की हत्या के पीछे के सारे राज उगल दिए। दोनों ने बताया कि नैंसी के बुआ का किसी के साथ प्रेम संबंध था। जिसकी जानकारी नैंसी को भी हो गई थी। इधर, नैंसी के बुआ का रिश्ता कहीं और तय कर दिया गया था। जिसके बाद नैंसी के चाचा को लगा कि कहीं नैंसी यह बात कहीं और न बोल दे। इसी डर की वजह से नैंसी का उनलोगों ने 25 मई को अपहरण कर लिया था। जबकि नैंसी के बुआ की शादी 26 मई को होनी थी। नैंसी कहीं राज न उगल दे इस डर से दोनों चाचा ने मिलकर नैंसी की बेरहमी से गला दबा हत्या कर दी वहीं अगले दिन अपनी बहन की शादी भी संपन्न कराई। शादी के एक दिन बाद यानी 27 मई को दरिंदा चाचा ने अपनी भतीजी नैंसी का शव बाहर फेंक दिया।
इस खुलासे के पीछे नैंसी के पापा के बयान कि बड़ी भूमिका रही है, जिसमें नैंसी के पापा ने कहा था कि नैंसी को मोटरसाईकल सवार अपराधी ने अपहरण कर लिया है। इसमें गांव के ही दो व्यक्ति को नामजद अभियुक्त बनाया था और उसकी गिरफ्तारी पहले ही हो चुकी है। जब गांव के बैंक में लगे सीसीटीवी फुटेज और गाँव के रास्ते में स्थिति पेट्रोल पम्प पर लगे सीसीटीवी फुटेज की जाँच की गई तो मामला साफ हो गया है कि उस वक्त गांव से कोई मोटरसाईकिल ना तो गांव में प्रवेश किया है और ना ही गांव से बाहर निकला है। पूरे फुटेज से साफ हो गया था कि नैंसी कि हत्या को लेकर नैंसी के पिता जो बयान दे रहे हैं वो पूरी तौर पर गलत है इसी के आधार पर नैंसी के चाचा राघवेन्द्र झा और पंकज झा पर जब पुलिस ने दबाब बनाया तो पूरा मामला सामने आ गया। काफी चर्चा में आये नैंसी झा हत्याकांड की मिस्ट्री सुलझाने के लिए एक SIT का गठन किया गया था। SIT की टीम ने 5 जून को नैंसी के चाचा राघवेंद्र और पंकज को शक के बिनाह पर हिरासत में लिया था। पुलिस ने बताया कि राघवेंद्र और पंकज के फ़ोन का रिकॉर्ड खंगालने पर दोनों पर शक बढ़ता गया। दोनों से अलग-अलग पूछताछ के बाद दोनों के बयानों में काफी अंतर पाया गया।
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