किशोर कुमार
मधुबनी ।
मधुबनी मुख्यालय से लगभग 6 किलोमीटर पर स्थित है सौराठ गॉव जहाँ लगती है दुल्हे का मेला! आगामी 25 जुन से 3 जुलाई तक यह ऐतिहासिक सभा (मेला) सौराठ में लगेगा! राजा हरि सिंह देव ने लगभग 700 साल पहले 1310 ई. में सौराठ सभा की प्रथा शुरू की थी! विवाह योग्य बच्चो के माता -पिता को परेशानी से बचाने के लिए इसका आयोजन करने की योजना बनी थी! आजकल मेले मे आनेवालो की तादाद काफी कम हो गई है, जहॉ पहले देश -विदेश से काफी संख्या मे लोग आते थे! इस मेले मे ब्राह्मण वर्ग के लोग वर-वधु के बीच संबंध जोड़ने से पहले देखते है कि कोई ब्लड रिलेशन नहीं हो, इसके लिए गोत्र व्यवस्था का आधार लिया जाता है! इसके लिए विवाह की अनुमति सभा के पंजिकार से लेनी होती है जो आज भी कायम है! स्थानीय लोग इसे मेला नहीं सौराठ सभा के नाम से पहचानते हैं! ये सभा बरगद के पेड़ के नीचे 22 वीघा जमीन पर होती है! सभा मे आनेवाले योग्य वर अपने पिता एवं परिजन संग आते ही चादर विछाकर बैठ जाते हैं! कन्या पक्ष से आये लोग वरो से बकायदा इन्टरव्यु लेते है, तब उन्हें पसंद करते हैं! पंजिकार इन संबधो को जॉचकर ही पुरी रिपोर्ट एक कागज पर हस्ताक्षर करके दोनों पक्षों को दी जाती हैं! जरुरत है इस मेले की प्रचार -प्रसार की ताकि मेले के पुराने दिन लौट सके और सौराठ सभा पहले की तरह फिर से गुलजार हो, भीड़ -भाड़ हो देश -विदेश से लोग सौराठ सभा मे आकर अपने बच्चे का रिश्ता तय करने की पहल करे!
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