वाहनों में तोड़-फोड़ किया, एक घंटे बाद मौके पर पहुंची पुलिस
जमशेदपुरः विजया हेरिटेज के हजारों महिला व पुरुष ठेका मजदूरों ने उपायुक्त डॉ अमिताभ कौशल के रूखे व्यवहार से नाराज उपायुक्त कार्यालय को जाम कर दिया. इतना ही नहीं सामने की सड़क पर धरना दे दिया. साथ ही उस रोड से आने-जानेवाले वाहनों दोपहिए व चार पहिए वाहनों में तोड़-फोड़ की. इससे वहां अफरा-तफरी का माहौल व्याप्त हो गया. स्थिति इतनी विकट हो गयी कि मजदूर किसी की सुन नहीं रहे थे. वे किसी बैनर के तले भी नहीं आये थे. उनका कोई नेता नहीं था. सभी के सभी आंदोलन पर उतर गये थे. एक घंटे तक मजदूरों ने डीसी कार्यालय परिसर व परिसर के बाहर बवाल काटा. इसके बाद पुलिसकर्मियों का ध्यान टूटा और गाड़ियों में भर कर पुलिस पहुंची और स्थिति को संभालने की कोशिश की. हालांकि आक्रोशित मजदूर तब तक जुबिली पार्क गेट चौक तक पहुंच गये और वहां भी जम कर बवाल काटा. जुबिली पार्क गेट में तालाबांदी कर दी. वहां भी चारों दिशाओं से आ रहे वाहनों को रोक दिया. किसी को समझ में नहीं आ रहा था कि माजरा क्या है. बाद में वहां मौजूद मीडियाकर्मियों ने जब प्रशासन को सूचना दी, तो प्रशासन हरकत में आया और पुलिस बल वहां पहुंचा. पुलिस पदाधिकारियों व पुलिस के जवानों ने स्थिति को संभालने की कोशिश की, तो आंदोलनकारी मजदूर उनसे से भी उलझ गये और उनके साथ भी हाथापायी की. बाद में स्थिति की गंभीरता को देखते हुए सिटी एसपी चंदन कुमार झा ने आंदोलनकारियों को समझाने का प्रयास किया. इसके बाद आंदोलनकारियों में ही पांच मजदूरों को प्रतिनिधि के रुप में वार्ता के लिए आमंत्रित किया और एडीसी से वार्ता करायी. वहां एसडीओ प्रेम रंजन भी आये. समाचार लिखे जाने तक वार्ता जारी रहा.
मामला क्या है
मजदूरों ने बताया कि वे लोग विजया हेरिटेज के बिल्डिंग निर्माण में करीब तीन हजार मजदूर विभिन्न जगहों पर कार्यरत हैं, लेकिन उन्हें न्यूनतम मजदूरी भी नहीं दी जाती. उन्हें महज 162 रुपये प्रतिदिन मजदूरी के रूप में दी जाती है, जबकि उन्हें 239 रुपये मिलना चाहिए. करीब 77 रुपये ठेकेदार के दलाल खा जाते हैं. इस बारे में कई बार विजया हेरिटेज के मालिकों को जानकारी दी. साथ ही मांग भी की कि उन्हें न्यूनतम मजदूरी दिलायी जाये, लेकिन मालिक उनकी बातों को सुनने के बजाये उल्टे मजदूरों को ही धमकी देता है कि उसे काम से निकाल देगा. साथ की कई तरह से धमकी-चमकी भी देता है.
पहले डीएलसी कार्यालय पर प्रदर्शन किया
मजदूरों ने मंगलवार को पहले डीएलसी के कार्यालय में अपनी बात रखने गये, लेकिन उनकी गुहार वहां भी नहीं सुनी गयी. डीएलसी कार्यालय के लोगों ने कहा कि वे कुछ नहीं कर सकते. उन्होंने उन्हें दूर छी कर भगा दिया. इससे नाराज वहां जम कर नारेबाजी की.
पैदल चल कर डीसी कार्यालय पहुंचे सैकड़ों मजदूर
डीएलसी कार्यालय में जब न्याय नहीं मिला और उनकी बातें नहीं सुनी गयीं, तो वे वहां से करीब तीन किलोमीटर पैदल ही चल कर उपायुक्त कार्यालय पहुंचे और जब उपायुक्त कार्यालय में पहुंच के उपायुक्त के सामने अपनी बात रखनी चाही, तो वे भी उनसे बात करने से इनकार दिया. उनके रुखे व्यवहार से आहत-आक्रोशित मजदूरों के सब्र का बांध टूट गया. इतनी गर्मी में पैदल आये मजदूर तोड़-फोड़ पर उतर आये. साथ ही सड़क जाम कर दिया और जम कर बवाल काटा.
प्रशासन ने तीन दिनों की मोहलत मांगी
त्रिपक्षीय वार्ता में मजदूरों ने लिखित ज्ञापन उपायक्त के नाम सौंपा, जिसमें पीएफ, इएसआई नहीं काटे जाने का भी जिक्र किया है. ज्ञापन पदाधिकारियों ने ले लिया है व कहा है कि उनकी मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार किया जायेगा, फिलवक्त वे लोग काम पर लौट जायें. प्रशासन तीन दिन की मोहलत मांगी है. मजदूरों ने तीन दिनों का वक्त देते हुए कहा है कि अगर तीन दिनों के बाद फैसला नहीं हुआ, तो वे लोग किसी भी हद तक जा सकते हैं. बड़ा आंदोलन करेंगे, जिम्मेदारी प्रशासन पर ही होगी. प्रतिनिधिमंडल में डीएसओ बिजेश्वर तिवारी, एसडीओ प्रेमरंजन, डीएसपी (विधि व्यवस्था) जसमिता केरकट्टा व मजदूरों के प्रतिनिधि
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