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विजय सिंह ,बी.जे.एन.एन.ब्यूरो,दिल्ली …..
जी हाँ आज कल देश की राजनीति में यही कुछ चल रहा है.जहाँ लोकसभा चुनाव में अधिक से अधिक सीटें जीतने और विरोधियों से निपटने में सभी पार्टियां एड़ी चोटी एक किये हुए हैं वही हरेक पार्टी के अपने ही नेता उनकी जड़े खोदने में लगे हैं. कारण अलग अलग हो सकते हैं परन्तु इससे हरेक पार्टी नेतृत्व सकते में तो आ ही जाता है.
१६ वी लोकसभा चुनाव में सबसे चर्चित भारतीय जनता पार्टी को ही लीजिये…एक तरफ पूरी पार्टी गुजरात के मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय राजनीति में तेजी से उभरे भाजपा के हीरो नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने में लगी हुई है.गुजरात में उनके कामो को रोल मॉडल के रूप में प्रस्तुत कर रही है वहीँ भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी (कानपुर से भाजपा प्रत्याशी) ने यह कह कर भाजपा नेतृत्व को ही सकते में डाल दिया कि देश में मोदी की नहीं भाजपा की हवा चल रही है.मोदी सिर्फ पार्टी के प्रतिनिधि हैं. अब ऐसे में जो होर्डिंग बैनर प्रचार आदि हम देख रहे जहाँ साफ़ लिखा है-“”अबकी बार मोदी सरकार”” उसे जनता क्या समझे..जोशी ने यह भी कहा कि भाजपा जीती तो गुजरात मॉडल को एन. डी. ए. मॉडल नहीं समझा जायेगा या लागू किया जायेगा.जोशी ने जसवंत सिंह के टिकट सम्बन्धी मामले में भी पार्टी पर प्रश्न चिन्ह खड़ा किया.
दूसरी तरफ कांग्रेस में भी मुश्किलों का दौर बना हुआ है.प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह के पूर्व मीडिया सलाहकार संजय बारु ने अपनी किताब में यह लिख कर सनसनी फैला दी कि देश की असली सत्ता प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पास नहीं बल्कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के पास थी और सारी चीजे वहीँ से तय होती थी ,प्रधानमंत्री सिर्फ एक डमी थे. येर सारी चीजें बारु चुनाव के समय ही क्यों कह रहे हैं,उन्होंने उसी समय अपने पद से इस्तीफा क्यों नहीं दिया था?उधर पूर्व कोयला सचिव पी.सी .पारेख ने भी अपनी पुस्तक में “”कोयला घोटाले'” मामले में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को कटघरे में खड़ा करने का प्रयास किया है.
देश की दो बड़ी पार्टियों भाजपा और कांग्रेस के अलावा नयी उभरती आम आदमी पार्टी के शुरुआती समय से सदस्य रहे अश्विनी उपाध्याय ने आप के मुखिया अरविन्द केजरीवाल को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है.अश्विनी ने केजरीवाल से पूछा है कि किन कारणों से केजरीवाल पूर्व कांग्रेसी नेता और अब आप के दिल्ली संयोजक आशीष तलवार के साथ जर्मनी गए थे?आप के ६०० पूर्णकालिक कार्यकर्ताओं को २५००० रुपये महीने सैलरी कौन देता है और सिर्फ १५ को ही चेक से भुगतान क्यों किया जाता है? केजरीवाल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री रहते संतोष कोली हत्याकांड की सी.बी.आई.जांच की अनुशंसा क्यों नहीं की? केजरीवाल फोर्ड फाउंडेशन द्वारा उनके एन.जी.ओ. को २०१३ में ११५०० करोड़ मिले रुपयों का आयकर दाखिल क्यों नहीं करते?
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