जमशेदपुर -सूर्यमंदिर परिसर में श्रीराम कथा के दूसरे दिन स्वर्ग नरक की व्याख्या से भावविभोर हुए श्रद्धालु।

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◆गृहस्थी कैसे चलाना चाहिये भगवान शिव से सीखें: पूज्य व्यास जी।
◆जन्मदिन पर भुव तारा के दर्शन से अकाल मृत्यु नहीं

◆कष्ट को नष्ट करने की क्षमता केवल राम के नाम में: परम पूज्य श्री अतुल कृष्ण भारद्वाज जी महाराज।

जमशेदपुर: सूर्यमंदिर कमिटी, सिदगोड़ा द्वारा श्रीराम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा व संगीतमय श्रीराम कथा के दूसरे दिन के कथा प्रारंभ से पहले वैदिक मंत्रोच्चार के बीच राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री एवं मुख्य यजमान रघुवर दास ने कथा व्यास पीठ एवं व्यास का विधिवत पूजन किया। पूजन पश्चात वृंदावन से पधारे कथा व्यास मानस मर्मज्ञ परम् पूज्य श्री अतुल कृष्ण भारद्वाज जी महाराज का स्वागत किया गया। कथा के दूसरे दिन पूज्य श्री अतुल कृष्ण भारद्वाज जी महाराज ने स्वर्ग एवं नरक की सुंदर व्याख्या करते हुए बताया कि मनुष्य जब अपनी अज्ञानतावश भौतिक सुख हेतु दुराचार, पापाचार, व्यभिचार भष्टाचार में लिप्त हो जाता है तो उसे नारकीय जीवन यापन करना पड़ता है। वह परमात्मा तक नहीं पहुंच पाता है एवं बार-बार जीवन मरण की लीला में भटकता रहता है। पूज्य व्यास जी बताते है कि इस कलियुग में श्रीमद भागवत एवं श्रीरामचरितमानस रूपी गंगा ही प्राणी को इस भवसागर से पार कराकर आत्मा को परमात्मा से मिलन करा सकती है।

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गृहस्थ जीवन कैसा होना चाहिए, पति-पत्नी के मध्य संबंध कैसे होना चाहिए – यह सब भगवान शिव से सीखने को मिलता है। कौन सी बात पत्नी को बताना चाहिये, कौन सी बातें नहीं बतानी चाहिये- यह भी भगवान शिव बताते हैं। आगे व्यास जी ने कहा कि पिता के घर, मित्र के घर, स्वामी के घर व गुरू के घर बिना बुलाये अवश्य जाना चाहिये। परन्तु जब कोई समारोह हो तो बिना बुलाये नहीं जाना चाहिये। ऐसी स्थिति में अपमानित होने के अलावा कुछ भी नहीं मिलता। पत्नी यदि किसी विषय पर हठ करें तो उसे कैसे समझाना चाहिए- यह भी भगवान शिव से सीखना चाहिए। यदि पत्नी फिर भी नही न माने तो भगवान भरोसे छोड देना चाहिये. गृहस्थ- जीवन में तनाव खडा करने से कुछ लाभ नही होना है। समस्या का समाधान खोजना चाहिए – आज परिवार में माता-पिता, पति-पत्नी, पुत्र-पुत्री
भाई-बहन ही बातें नहीं मानते हैं तो समाज का भरोसा कैसे किया जाए। समस्या चाहे कितनी बड़ी ही क्यों ना हो, मन और बुद्धि को शांत रखते हुए, उस पर विचार करने से उसका निराकरण हो जाता है।

आगे पूज्य व्यास जी महाराज ने बताया कि मनुष्य आज औसत 70 वर्ष की आयु में जी रहा है। यदि इससे अधिक आयु है तो समझिए कृपा है। मनुष्य के जीवन में चार पड़ाव आते हैं उसका पूर्ण सदुपयोग करना चाहिए। अंतिम समय में जो सन्यास आश्रम की बात पुराणों में कही गयी है, उसका भी मनुष्य को पालन करना चाहिए। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि वह घर-परिवार को छोड़कर चला
जाए, बल्कि घर को ही बैकुंठ बनाएं हनुमान जी की तरह भगवान के नाम का सुमिरन और कीर्तनबकरते रहें। उन्होंने कहा कि शरीर का सम्बंध स्थाई नहीं होता । स्थाई सम्बंध तो आत्मा का परमात्मा से होता है, इसलिये मनुष्य को अपनी सोच का दायरा बढाना चाहिये, उसे संकुचित नहीं करना चाहिये । मनुष्य को “सियाराम में सब जग जानी” के सिद्धांत पर जीना चाहिये । सभी में परमात्मा का दर्शन करना चाहिये।

दूसरे दिन के कथा में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री सह कमिटी के मुख्य संरक्षक रघुवर दास, अध्यक्ष संजीव सिंह, भाजपा जमशेदपुर महानगर अध्यक्ष दिनेश कुमार, देवेंद्र सिंह, भरत सिंह, विकास सिंह, गजानंद भालोटिया, कृष्णा भालोटिया, पवन अग्रवाल, गुंजन यादव, माँतु बनर्जी, मिथिलेश सिंह यादव, कमलेश सिंह, खेमलाल चौधरी, सुशांता पांडा, कुलवंत सिंह बंटी, प्रोबिर चटर्जी राणा, सतबीर सिंह सोमू, श्रीराम प्रसाद, रमेश नाग, ध्रुव मिश्रा, पप्पू मिश्रा, दीपक झा, बोलटू सरकार, प्रेम झा, हेमंत साहू, ज्योति अधिकारी, नीलू झा, सोनिया साहू, ममता कपूर, सरस्वती साहू, कुमार अभिषेक, कुमार विश्वजीत, विक्रम चंद्राकर, कौस्तव रॉय, बच्चा बाबू, रीना तिवारी समेत हजारों श्रद्धालु उपस्थित थे।

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