
महेंद्र प्रसाद,

सहरसा
बिकास के बड़े बड़े दावे करने वाली सरकार की कोसी दियारा में विकास की गाड़ी रुक जाती है। सालो भर इसी नाव से कोसी दियारा के लोग जान हथेली पर रखकर नदी पार करते है। आखिर इन लोगो के पास दूसरा कोई विकल्प भी तो नहीं है। बलखाती कोशी नदी की तेज धारा से इन लोगो की प्रतिदिन की यही रूटिंग है। चुनाव के समय बड़े बड़े दावे करने वाले नेता स्याद भूल जाते है की इसे भी अच्छी जिंदगी जीने का ललक है। साल में तो छह माह बाढ़ में ही इन दियारा वासी की जिंदगी कटती है।
कई घाटो पर चलती है नावे- कोसी तटबन्ध के दियारा में जो तटबंध के अंदर के लगभग जिले के दो दर्जन पंचयात के लोग रहते है। इनलोगो की मुख्य बाजार प्रखंड या जिला मुख्यालय है। कोई काम होने पर अगर बाजार आने के लिए सुबह चलेगा तो शाम को बाजार पहुचेगा। रात को मुख्यालय में कही रहकर दूसरे दिन फिर घर जायेगा। अगर रात को किसी बीमार को अस्पताल लाना है तो गारण्टी है की ज्यदा गंभीर मरीज मर जायेगा लेकिन समय पर अस्पताल नहीं पहुच पायेगा। सरकार की विकाश की इस दियारा में पोल खुलती है।

