सहरसा-भारतीय नोट रखने का खामियाजा भुगत रहे नेपाली

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महेंद्र प्रसाद,
सहरसा।

बंद नोट को लेकर नेपाल राष्ट्र बैंक ने भी खड़े किये हाथ, जनता कर रही त्राहिमाम

एक अरब तक के भारतीय करेंसी हो सकता है नेपाल में डंप
भारतीय मुद्रा रखने का खामियाजा नेपालियों को भी भुगतना पड़ रहा है। बंद नोट को लेकर नेपाल राष्ट्र बैंक ने भी हाथ खड़े कर दिए है। साथ ही सभी बैंकों व सटही काउंटर से भारतीय 500 व 1000 के नोट बदलने पर पाबंदी लगा दी है। सूत्रों से मिली जानकारी जे अनुसार नेपाल राष्ट्र बैंक के विदेश विनिमय विभाग द्वारा इस सम्बन्ध में गवर्नर, वित् व वाणिज्य मंत्रालय, विदेश मंत्रालय सहित सम्बंधित 14 विभागों व कार्यालयों को पत्र लिखकर सुचना दी है।

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बैंक के कार्यकारी निदेशक भीष्मराज ढुंगाल द्वारा जारी पत्र में नेपाल राष्ट्रबैंक के सभी कार्यालयों, मान्यता प्राप्त बैंक व वितीय संस्थाओं, मानिचेंजर व अन्य वितीय निकायों से प्रतिबंधित भारतीय नोट के लेन-देन पर पाबंदी लगा दी है। नेपाल राष्ट्र बैंक के सूत्रों की माने तो सरकार से इस संबंध में दिशा निर्देश माँगा गया है। दोनों देशों के सरकार से बातचीत के बाद ही इसपर कोई निर्णय लिया जा सकेगा। फ़िलहाल भारतीय नोट धारक नेपाली जनता व नेपाल में व्यवसाय करने वाले भारतीय लोग त्राहिमाम कर रहे है।

500 और 1000 के नोट पर पाबंदी के बाद नेपाल के बाजारों में से एक अरब से अधिक की भारतीय करेंसी डंप होने की सम्भावना व्यक्त की गई है। इसे खपाने के लिए नेपाल के व्यवसायी व बिचौलिए अवैध सटही कारोबारियों व बिचौलियों की शरण में जाकर आधे दाम पर बंद भारतीय मुद्रा को एक्सचेंज करने के लिए विवश है।

इस मुद्रा संकट को लेकर भारत व नेपाल के सीमावर्ती बाजारों में वीरानगी छा गयी है। इन बाजारों में इंडियन करेंसी से ही खरीदारी होती हैं। ऐसे में व्यापारियों के पास नेपाली करेंसी की तुलना में भारतीय करेंसी अधिक रहती है। सीमावर्ती बाजारों में पूरी तरह से मंदी छा गयी है।

अचानक नोट बंद कर देने से व्यवसाय प्रभावित हुआ है। सीमावर्ती इलाके के बाजारों में बड़े एवं छोटे व्यापारियों के पास करोड़ों की भारतीय करेंसी है। इसे बदलने में आ रही समस्या को लेकर साँसे अटक गयी है।

हालांकि,भारतीय बैंकों में अकाउंट और पहचान पत्र नहीं है। सो, करेंसी बदलने में उन्हें सफलता नहीं मिली है। वीरगंज के व्यवसायी बताते है कि ठंड के इस मौसम कंबल,स्वेटर,जैकेट व अन्य गर्म कपड़ों की मांग को लेकर भारतीय ग्राहकों की खासी भीड़ लगी रहती थी। लेकिन, इस बार व्यवसाय पूरी तरह से चौपट है। चार दिन से बिक्री नहीं के बराबर हुई है।

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