
बीजेएनएन ब्यूरों ,जमशेदपुर,19 मार्च
प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी टैगोर सोसाईटी, जमशेदपुर द्वारा गुरुवर रबीन्द्र नाथ टैगोर के काव्य एवं उनकी रचनाओं पर आधारित ऋतुओं में श्रेष्ठ बसंत ऋतु व जीवन में उसकी महत्ता के सम्बन्ध में एक रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन रबीन्द्र भवन सभागार में आयोजित किया गया, इस कार्यक्रम के बाबत जानकारी देते हुए टैगोर सोसाईटी के मानद महासचिव आशीष चैधरी ने बताया कि टैगोर स्कूल ऑफ आर्ट के 50 से अधिक छात्र-छात्राओं एवं शिक्षकवृन्द ने इस कार्यक्रम को रंगारंग रूप प्रदान में सक्रिय भागीदारी निभायी। कार्यक्रम के दौरान प्रारम्भ कविवर द्वारा रचित बसंत पर आधारित रबीन्द्र संगीत ‘आजी दोखिन दुआर खोला, ओ रे गृहोबासी’ से हुआ, जिस गीत पर कला, संगीत के छात्र-छात्राओं ने संगत का बेहतर रूप दर्शाया और नृत्य-गीत का बेहतरीन रूप प्रस्तुत किया। ‘तोमार बास कोथा जे पोथिक’, एनेछो वोई सिरिश बोकुल, एकी अकुलोता, ’, ओरे भाई फोगुन लेगेछे बोने बोने, बोकुल गोन्धे बोन्ना एलो फागुन हवा’ जैसे गीत पर जहां संगीत का जादू रहा वहीं नृत्य मानो लोगों की आंखों का आवरण बन गया था। इस कार्यक्रम में संगीत-नृत्य का सामंजस्य स्थापित करने में नृत्य निर्देशिका की भूमिका में रीता मित्र, मोनीदीपा दास, संगीत निर्देशक के रूप में चंदना चैधरी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाया। तबला संगत पार्थो प्रिय दास व मानिक भट्टाचार्य ने संगत दिया। कार्यक्रम की उपस्थित रबीन्द्र संगीत प्रेमियों ने सराहना की।