
अमीत कुमार मिश्रा,जमशेदपुर
लोकसभा चुनाव का बिगुल बजने के साथ ही एक ओर जहाँ पुलिस प्रशासन ने शांति पूर्ण चुनाव कारनामें के लिए कमर कस के तैयार दिखाई देती हैं। वही दुसरी ओर झारखंण्ड के नक्सली संगठन भी इस अपने लिए सुनहारा अवसर मानते हुए अपनी उपस्थिती दर्ज करवाने को बेताब हैं।राज्य के 18 जिले नक्सल प्रभावित हैं।इनमे से कुछ जिलो में नक्सली गतिविधीयों में कमी आई हैं।
सुत्र बताते है कि पूर्वी सिंहभूम जिले में जहाँ की नक्सली संगठन कमजोर हैवहाँ भी नक्सलीयो ने अपना सक्रियता बढा दी हैं।इसके कई उदाहरण भी देखने को मिला हैं।संगठन ने हाल में ही पोस्टरबाजी कर ठेका मजदुरे के वेतन बढोत्तरी के लिए मांग की थी.।इस विषय पर पुर्वी सिंहभूम के ग्रामीण एस पी शैलेन्द्र कुमार सिंनहा ने कहा कि हाल के दिनो में नक्सलीयों की पकङ जिले में काफी कमजोर हुई हैं लेकिन उत्पात करने के लिए काफी एक व्यक्ति काफी है।उन्होने कहा कि टीम बना कर जिला पुलिस काम रहा हैं।हालाकि हाल के वर्षो मे इस जिले में नक्सली धटनाओ मे काफी कमी आई हैं।फिर भी घटनांओं में का नही होना यह साबित करता है कि इन ईलाको में नक्सली का अस्तिव नही हैं।यह पुलिस की सक्रियता का नतीजा है कि नक्सलीयों को कांङ करने का मौका नही मिल रहा हैं।साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों के लोगो का पुलिस के प्रति लोगो का विश्वास बढा हैं।
सुत्र बताते हैं कि पूर्वी सिहभुम मे सचिन महतो के दस्ते ने 8-10 लोग अब बचे हैं।और दस्ते में शामील करने के लिए नय़े य़ुवक सचिन को नही मिल रहे है।ग्रामीण क्षेत्र में बढी जागरुकता ने आम लोगो और नक्सलीयो के बीच खाई का काम कर रही है।
एक ओर जहाँ पुलिस तमाम नक्सल ग्रस्त ईलाको में अभियान चला रही हैं।वही दुसरी ओर नक्सली संगठन अपनी अस्तित्व बचाने के लिए संघर्षरत हैं।इस लोकसभा चुनाव को संगठन एक ऐसा अवसर मान रही हैं जब वे अपने आप को जिले दोबारा स्थापित कर सके।पूर्वी सिहंभूम जिला के डुमरिया,गुङाबांधा,घाटशिला .चाकुलिया ,पटमदा,तथा बोङाम इलाको मे कभी नक्सलीयो की तुती बोलती थी ।अब इन ईलाको मे इनकी उपस्थिती नगण्य हैं।
ज्ञात हो कि पूर्वी सिहंभूम में नक्सलीयो की ऐसी तुती बोलती थी कि यहां पर उनके द्वरा कई बङी धटनाओ का अंजाम दिया गया।जिसमे प्रमुख रुप से यहां के सांसद सुनील महतो की हत्या का घटना को अंजाम देना।लेकिन जिले के एसपी के रुप में नवीन कुमार सिंह ने प्रभार लिया तो उन्होने लगातार अभियान चलाकर इस जिले से नक्सलियो के संगठन को कमजोर करने का काम किया था ।साथ ही ग्रामीणो के बीच पुलिस के छवि को सुधारने से श्रेय भी उन्ही को जाता है और उसके बाद से आए सारे पुलिस कप्तानो ने इस दिशा में प्रयास जारी रखा।
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