Madhubani News. :घीघडीहा निवासी डॉ० नारायण जी को बाल और ननौर गांव की रिंकी झा ऋषिका को मिला युवा पुरस्कार

साहित्य अकादेमी द्वारा मैथिली भाषा में बाल एवं युवा पुरस्कार की घोषणा। मधुबनी जिले के घीघडीहा निवासी डॉ० नारायण जी को बाल और ननौर गांव की रिंकी झा ऋषिका को मिला युवा पुरस्कार।*

51

अजय धारी सिंह

*मधुबनी:* जिले के घोघरडीहा निवासी डॉ० नारायण जी को “अनार” के लिए साहित्य अकादमी नई दिल्ली का मैथिली भाषा में बाल एवं ननौर गांव की रिंकी झा ऋषिका को “नदी घाटी सभ्यता” के लिए युवा पुरस्कार की घोषणा शनिवार को हुई। जिले के दोनो साहित्यकार को चारों तरफ से शुभकामनाएं दी जा रही है। साहित्य अकादेमी द्वारा मैथिली भाषा में बाल एवं युवा पुरस्कार की घोषणा से बुद्धिजीवी एवं साहित्यकार, उत्साहित और आनंदित हैं। साहित्य अकादमी से दोनों ही पुरस्कृत पुस्तकें नवारम्भ प्रकाशन से प्रकाशित हैं।

साहित्यकार अजित आजाद ने बताया कि मैथिली के प्रसिद्ध कवि कथाकार डॉ० नारायण जी को उनके बाल कथा-संग्रह अनार हेतु साहित्य अकादमी का बाल पुरस्कार की घोषणा शनिवार को हुई। जिला के घोघरडीहा गांव निवासी डॉ० नारायण जी की पहली कविता-संग्रह वर्ष 1993 में “हम घर घुरि रहल छी” प्रकाशित हुई थी। डॉ० नारायण जी की चार कविता-संग्रह प्रकाशित हुई है। मैथिली भाषा साहित्य में इनकी सारगर्भित कथा रचना भी चर्चित रहा। इनकी कथा संग्रह चित्र एवं सांझबाती प्रकाशित हैं। डॉ० नारायण जी ने समीक्षाएं और बाल कहानियां भी लिखी हैं। बच्चों के मनोभाव और उनके आदर्श को आधार बनाकर लिखी कहानी अनार सबसे पहले बालबंधु पत्रिका में छपी थी। “अनार” को बाल साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट कहानी-संग्रह माना गया है। आपको बता दें की चेतना समिति पटना से माहेश्वरी सिंह महेश पुरस्कार और कीर्ति नारायण मिश्र साहित्य सम्मान प्राप्त डॉ० नारायण जी पेशे से किसान हैं। गांव में रहकर ही देसी-विदेशी साहित्य का अध्ययन करते हैं और साहित्य में होने वाले बदलावों को परखते हुए लेखन करते हैं।

वहीं जिला के ननौर गांव निवासी रिंकी झा ऋषिका मूलतः कवियत्री हैं। इनकी दो कविता-संग्रह प्रकाशित हुई हैं। “नदी घाटी सभ्यता” एवं कठिन समयक विरुद्ध इनकी श्रेष्ठ रचना हैं। साहित्य अकादमी का युवा पुरस्कार इनके पहले संग्रह को दिया जाएगा। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में संलग्न रिंकी झा ऋषिका एक मुखर कवियत्री हैं। इनकी कविताओं में स्त्रियों के मुद्दे, समाजिक की समस्याएं, पारंपरिक मूल्यों के स्खलन का प्रतिकार दिखता है। पुरस्कारों की घोषणा पर चारों तरफ से खुशी व्यक्त की जा रही है। साहित्य जगत के अजित आजाद, विभूति आनन्द, डॉक्टर अरविन्द सिंह झा, प्रो. सोनी कुमारी, चन्डेश्वर खान, आनन्द मोहन झा, देवेन्द्र झा, अखिलेश कुमार झा, शुभ कुमार वर्णवाल, वीरेन्द्र झा सहित अन्य कई लोगों ने दोनों को शुभकामनाएं दी हैं।

Comments are closed.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More