
राज कुमार झा।
मधुबनी, ।
मुखिया पंचायत का महत्वपूर्ण नागरिक होता है। उसके कंधो पर पंचायत के विकास की पूरी जिम्मेवारी होती है। हालांकि जब वही मुखिया लाचार और विवश हो जाए तो सोचिये पंचायत के लोगों का क्या हश्र होगा। ताजा मामला जिले के मधेपुर प्रखंड के सुजातपुर पंचायत की है। बताया जा रहा है कि पटना वूमेन कॉलेज से स्नातक फिर पुणे से एमबीए तक कि पढ़ाई कर पंचायती राज का कार्यभार संभाल रही मुखिया मंदाकिनी को अधिकारियों की उदासीनता का खामियाजा भुगतना पर रहा है। स्थानीय ग्रामीण कहते हैं कि हम लोगों ने मन्दाकिनी को इस आशा के साथ मुखिया बनाया था कि वो पंचायत का विकास करेगी। सिस्टम को समझेगी। उसे कहाँ पता था कि इस सरकारी सिस्टम के आगे वह विवश हो कुछ न कर पाएगी। बताते चले कि शपथ ग्रहण समारोह के कई मास बीतने के बाद भी पंचायत सेवक मुखिया से भेट तक नहीं कर रहे हैं। परिणामस्वरूप एक भी पंचायती कार्य का निष्पादन नहीं किया जा रहा है।

क्या है मन्दाकिनी का आरोप –
जिलाधिकारी से मिले हुए हैं पंचायत सेवक। -सही ढंग से वह नहीं कर पा रही है पंचायत स्तर का कोई कार्य। -पंचायत सेवक पंचायत भवन में रखे सभी दस्तावेजों को उठा कर ले जाते हैं अपने घर। -अभी तक नहीं हो पाया है वार्ड सभा का आयोजन। -पूरा सिस्टम करप्ट है और सभी एक दूसरे से मिले हुए हैं। -डीएम के आदेश के बाद भी आरोपी उपंचायत सचिव के ऊपर नहीं किया जा रहा कार्रवाई। -सराकर ने दिया महिला आरक्षण, लेकिन अधिकार देने वाला कोई नहीं। -चोरी पकड़े जाने के डर से मुझे किया जा रहा परेशान। -बीडीओ, एसडीओ तथा डीएम को आवेदन देने के बाद भी नहीं निकल पा रहा परिणाम।
क्या कहते हैं ग्रामीण –
दो-तीन महीने पहले यहां आए थे ग्रामसेवक। -वृद्धा पेंशन के लिए लिया अंगुठा, लेकिन अबतक लौटकर नहीं आए। -पच्चीस-तीस लोगों से लिया गया था अंगुठे के निशान।
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