जमशेदपुर।
डॉ० मिथिलेश कुमार चौबे द्वारा लिखित ऐतिहासिक उपन्यास के लोकार्पण समारोह का आयोजन कदमा के सरस्वती शिशु मंदिर में सम्पन्न हुआ. इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रांतीय संपर्क प्रमुख राजीव कमल मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे. इसके अलावा इस कार्यक्रम में कोल्हान विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति एवं विशिष्ठ अतिथि के रूप में जमशेदपुर विमेंस कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ(प्रो०) शुक्ला महंती डॉ पी० के० पानी, परीक्षा नियंत्रक, कोल्हान विश्वविध्यालय, बी नटराजन, जमशेदपुर महानगर संघचालक, अभय सामंत, जमशेदपुर विभाग संघ चालक, श्री प्रवीन सिंह, संपादक, इनसाइड, झारखण्ड आदि उपस्थित थे. उपन्यास की समीक्षा करते हुए जमशेदपुर को आपरेटिव कालेज के प्रो० विजय कुमार पियूष ने इस पुस्तक को पौराणिक उपन्यासों की श्रेणी में एक अनूठा प्रयास बताया. उन्होंने कहा कि इस उपन्यास का शिल्प और कथ्य ‘ अरस्तु एवं प्लूटो द्वारा निर्धारित मापदंडों के अनुरूप है तथा इसकी रोचकता और कहानी में बदलाव की शैली अभिज्ञान शाकुंतलम के ट्रेंड को फोलो करती है. इस उपन्यास के विषयवस्तु पर चर्चा करते हुए, धर्मेन्द्र मिश्र के सनातन संस्कृति और झारखण्ड की आदिवासी संस्कृति के मध्य के अदृश्य तारों को खोजने के क्रम में शोध और कथानक के संतुलन की तारीफ की. अपने उद्बोधन में प्रो शुक्ला महन्ति ने कहा कि यह उपन्यास भारत की एकता और अखंडता के लिए एक मिल का पथ्थर है. उन्होंने कहा कि कोल्हानम शोधपरक साक्ष्यों के आधार पर कथ्य और शिल्प के माध्यम से झारखण्ड के पठारी प्रदेशो में रहने जनजातियों के ईसा पूर्व और पहली शताब्दी सनातन संस्कृति के साथ संपर्कों का विस्तृत विवरण देता है. उनके अनुसार इतिहास की किताबों
में इन आदिम जनजातियों का सन 1855 के पहले का कोई सिलसिलेवार इतिहास नहीं मिलता. ऐसा लगता है मानो यह प्रदेश इतिहासविहीन प्रदेश हो. लेकिन दूसरी तरफ इस प्रदेश में निवास करने वाले आदिवासियों के सामाजिक और आर्थिक जीवन आज भी खूब रिसर्च हो रहे हैं, और कमोबेश हर शोध में इन्हें शेष भारत की सांस्कृतिक सीमा से बाहर एक अलग-थलग इकाई के रूप में प्रस्तुत किया जाता है. उनके अनुसार, जब आप किसी समुदाय को उसके अतीत से अलग कर देते है तो उसपर सांस्कृतिक अतिक्रमण आसान हो जाता है.
उन्होंने कहा कि, कोल्हानम झारखण्ड के जनजातियों उनके इतिहास के प्रति चेतना पैदा करने के साथ-साथ साक्ष्यों के आधार पर उन्हें उनके प्राचीन सनातन सम्पर्कों से अवगत कराता है.
इस कार्यकम के मुख्य अतिथि श्री श्री राजीव कमल ने क्लेश आफ सिविलाइजेसन’ के उदाहरण के आलोक में बताया इस उपन्यास का मुख्य उदेश्य है रिसर्च के नाम पर परोसे जाने वाले झूठ एवं इतिहास लेखन के नाम पर फैलाये जाने वाले घृणा के वास्तविक उधेश्य के प्रति लोगों को सचेत करना. इस कार्यक्रम का संचालन, जमशेदपुर विमेंश कालेज के बी एड विभाग की हेड डॉ० त्रिपुरा झा ने किया. इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से जमशेदपुर विमेंस कालेज की हिंदी विभाग की प्रो पुष्पा कुमारी, पत्रकारिता विभाग की शालिनी प्रसाद, भाजपा नगर अध्यक्ष श्री सुधांशुओझा, महानगर कार्यवाह श्री रविन्द्र जी, मुख्य रूप से उपस्थित थे. अतिथियों का स्वागत डॉ पुष्प कुमारी द्वारा किया गया. धन्यवाद ज्ञापन डॉo मिथिलेश कुमार चौबे द्वारा किया गया
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