Jharkhand News :वन स्टाॅप सेंटर को सशक्त और सुविधायुक्त बनाने को लेकर ‘युवा’ की पहल पर रांची में हुआ मंथन

वन स्टाॅप सेंटर को सशक्त और सुविधायुक्त बनाने को लेकर 'युवा' की पहल पर रांची में हुआ मंथन,राज्य सभा सांसद महुआ माजी बतौर मुख्य अतिथि और एडीजी सुमन गुप्ता विशिष्ट अतिथि के तौर पर हुईं शामिल

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Anni Amrita

रांची.जघन्य निर्भया कांड के बाद देश भर के विभिन्न जिलों में हिंंसा की शिकार महिलाओं के लिए अस्थाई आश्रय गृह वन स्टाॅप सेंटरों/सखी सेंटरों की शुरुआत हुई.धीरे धीरे झारखंड के 24जिलों में भी वन स्टाॅप सेंटरों का शुभारंभ हुआ जो आज भी कार्यरत हैं.

लेकिन सही मायनो में प्रत्येक पीड़ित महिला व विकलांगजनों तक इसकी सक्रियता औरपहुंच बढाने के लिए कई कठिन चुनौतियां हैं जिनकी तरफ सरकार का ध्यान आकृष्ट करने के लिए संस्था ‘युवा’ की सचिव वर्णाली चक्रवर्ती के नेतृत्व में रांची के बीएनआर चाणक्या होटल में एक वृहद परिचर्चा का आयोजन किया गया.इसमें राज्य सभा सांसद महुआ माजी बतौर मुख्य अतिथि और एडीजी सह महिला कोषांग प्रभारी सुमन गुप्ता विशिष्ट अतिथि के तौर पर शामिल हुईं.

कार्यक्रम की शुरुआत में युवा और ‘प्रदान’ की ओर से एक सर्वे रिपोर्ट को जारी किया गया जिसमें बताया गया कि राज्य के 24वन स्टाॅप सेंटरों में मात्र पांच सेंटर,कोडरमा,रामगढ, सरायकेला, लोहरदगा और धनबाद में ही सेंटर 24घंटे कार्यरत हैं.बाकी सेंटरों में इंफ्रास्ट्रक्चर की काफी कमी की वजह से 24घंटे सुविधा उपलब्ध नहीं है.जहां 24घंटे चल रहे वहां भी कम मुश्किलें नहीं हैं.कार्यक्रम में मौजूद विभिन्न जिलों के वन स्टाॅप सेंटरों के प्रतिनिधियों ने अतिथियों के समक्ष अपने सेंटरों की परेशानियों को साझा किया.जमशेदपुर सेंटर से डालसा की प्रतिनिधि के तौर पर मौजूद लक्ष्मी बिरुआ ने बताया कि जमशेदपुर में वन स्टाॅप सेंटर रेड क्राॅस भवन के तीसरे तल्ले पर होने और लिफ्ट न होने से पहले से अपराध की शिकार महिलाओं के लिए यह और भी मुश्किल हो जाता है.साथ ही 24घंटा सक्रिय न रहने से शाम पांच बजे के बाद किसी पीड़िता का मुद्दा आने पर उसे कहां रखा जाए, यह चुनौती बन जाती है.
वहीं सरायकेला सेंटर की प्रतिनिधियों ने बताया कि मैनपावर की काफी कमी होने की वजह से 24घंटे चलाना मुश्किल होता है.उधर कई सेंटरों की प्रतिनिधियों ने बताया कि जब भी महिला से जुड़े मामले आते हैं और वे संबंधित थाने को काॅल करती हैं तो थानों की पुलिस एनजीओ का काॅल कहकर दरकिनार करती है.एक प्रकार की संवादहीनता है.कई प्रतिनिधियों ने बताया कि सेंटरों में कार्यरत लोगों को पैसे नहीं मिलते हैं जो एक बड़ी समस्या है.कहीं कंप्यूटर है तो ऑपरेटर नहीं हैं,कहीं काउंसिलर के अभाव में संचालक को ही यह भूमिका निभानी पडती है.अगर महिला घायल अवस्था में आए तो उसे लेकर अस्पताल जाने के लिए गाड़ी व सुरक्षा के लिए 24घंटे गार्ड की व्यवस्था नहीं है.

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कार्यक्रम में बतौर विशिष्ट अतिथि एडीजी सह महिला विशेष सुरक्षा कोषांग की प्रभारी सुमन गुप्ता ने खुलकर माना कि पुलिस और वन स्टाॅप सेंटर के प्रतिनिधियों के बीच एक गैप है जिसे पाटने की जरुरत है.उन्होंने कहा कि सिस्टम में कुछ कमी है और वन स्टाॅप सेंटर को लेकर प्रचार प्रसार ज्यादा नहीं हुआ है. इस वजह से लोगों में इसको लेकर जागरुकता नहीं है.सांस्कृतिक वर्जनाओं(सोशल स्टिग्मा)की वजह से महिलाएं वन स्टाॅप सेंटरों तक नहीं पहुंच पाती हैं.सुमन गुप्ता ने आश्वासन दिया कि बतौर महिला कोषांग प्रभारी वे धीरे धीरे पहल करके वन स्टाॅप सेंटर और पुलिस के बीच के गैप को कम करने के लिए प्रयास शुरु करेंगी.उन्होंने कहा कि बदलाव की शुरुआत खुद से होती है.अगर हम सब घर में लैंगिक भेदभाव न करें,महिला के साथ अत्याचार न होन दें तो एक बेहतर समाज बनेगा.उन्होंने कहा कि एक निगरानी तंत्र की जरुरत है तो लगातार माॅनिटर करे.

मुख्य अतिथि महुआ माजी ने कहा कि वे वन स्टाॅप सेंटरों के बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर की बाधाओं के विषय में संसद में प्रश्न उठाकर इन सेंटरों के लिए तय किए गए तीन हजार करोड में से झारखंड के हिस्से को देने की मांग करेंगी ताकि फंड के अभाव में इंफ्रास्ट्रक्चर की दिक्कत न हो.उन्होंने उस दौर को याद किया जब वे राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष थीं और तब वे लगातार निगरानी करती रहती थीं.तब महिला हित में काफी पहल की गई थी.

कार्यक्रम में वन स्टाॅप सेंटरों में पीड़ितों और दिव्यांगजनों की पहुंच मजबूत करने को लेकर पैनल डिस्कशन का भी आयोजन हुआ जिसमें नसरीन जमाल माॅडरेटर की भूमिका में थीं.इसमें मीडिया से अन्नी अमृता, शक्ति फाउंडेशन की निदेशक
पद्मा कुमारी, सी एस एन आर की आकृति लकड़ा, क्रिया की प्रोग्राम मैनेजर बबीता सिन्हा व अन्य शामिल हुए.

कार्यक्रम के संबंध में आयोजक वर्णाली चक्रवर्ती ने बताया कि इस आयोजन के माध्यम से सरकार का ध्यान वन स्टाॅप सेंटरों की समस्याओं और चुनौतियों की तरफ आकृष्ट कराना है ताकि इन सेंटरों की सक्रियता बढे और यह सुविधाओं से युक्त 24घंटा कार्य करे.कार्यक्रम में नीता बोस,विक्रम,सुधीर,अंजू देवगम,चांंनमनी, झारखंड विकलांग मंच के सचिव नरेन्द्र कुमार,लखी दास व अन्य मौजूद थे.

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