JAMSHEDPUR NEWS :: कुछ अलग – मिलिए शतकवीर रक्तदाता – श्री क्रांति जी से

स्वैच्छिक रक्तदान से बनाई अपनी पहचान

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मैं और क्रांति जी करीब 10 वर्ष पूर्व एक प्राइवेट मल्टीनेशनल कंपनी में साथ ही काम करते थे। दोनो मानव संसाधन विभाग में प्रबन्धक थे। कार्यों का बंटवारा था पर एक दूसरे से सलाह अवश्य करते थे। उस कार्यावधि में ही उनके रक्तदान के जज्बे के बारे में जानकारी मिल गयी थी। गिनती उनकि 50 के आसपास थी पर मेरी सिर्फ 4. मैं साल में एक बार रक्तदान करता था, वो चार बार।
सम्प्रति, उनका कर्मक्षेत्र पश्चिम बंगाल का खड़गपुर। वरीय मानव संसाधन पदाधिकारी, प्राइवेट संस्थान। पारिवारिक निवास जमशेदपुर में ही। पैतृक गांव बिहार के नालंदा जिले में।
गत 29 मई 2024 को पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार उनका सौंवा रक्तदान था। जमशेदपुर ब्लड सेंटर में उन्होंने मेरी इच्छा से मुझे भी उपस्थित रहने का न्योता दिया था। मैं गर्वान्वित हूँ उनपर और धन्यवाद भी करता हूँ कि उन्होंने मुझे इस तरह शामिल किया।
सौ (100) बार रक्तदान करना कोई मामूली बात नही है। हर बार गिनती रखना, 90 दिन, 91 दिन…. , एक्सेल शीट पर अपना डाटा संरक्षित करना (दिन,समय, सैंपल नम्बर… सब कुछ), स्वयं को स्वस्थ रखना, उस दौरान शहर में उपस्थित रहना इत्यादि कई बाधाएं आती हैं। सब से ऊपर उठकर शतक लगाना वास्तव में गर्व करने का विषय तो है ही।
अब तक के उपलब्ध आंकड़ों के अनुसाल सबसे कम उम्र में ये उपलब्धि हासिल करने वाले पहले युवा होने की संभावना है। (हालांकि इसपर ब्लड बैंक वाले और जानकारी जुटा रहे हैं।) 45 वर्ष 5 महीने और 29 दिन की उम्र में रिकॉर्ड बना। पहली बार 18 वर्ष 4 महीने की उम्र में दिनांक 12 अप्रैल 1997 को स्वैच्छिक रक्तदान से शुरू हुआ ये सफर आगे भी जारी रहे ऐसी कामना करता हूँ।
कोशिश रहेगी कि उनके इस सफर की कहानी उनकी जुबान से ही सुनें। प्रयास कर रहा हूँ। अगली बार जब भी साथ बैठें, करेंगे।
क्रांति जी को बहुत सारी शुभकामनाएं
– विक्रम आदित्य सिंह
(बिहार झारखंड न्यूज नेटवर्क के लिए)

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