
जमशेदपुर, :

झारखंड और देश के प्रेरणास्रोत और झारखंड की राजनीतिक चेतना के केंद्र में रहे दिशोम गुरु शिबू सोरेन और जननायक रामदास सोरेन को शुक्रवार को माइकल जॉन ऑडिटोरियम, बिष्टुपुर में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई.इस श्रद्धांजलि सभा का आयोजन कुणाल षाड़ंगी व पवन के नेतृत्व में गुरुजी विचार मंच ने किया. इस गैर राजनीतिक कार्यक्रम में शहर के अधिवक्ताओं, समाजसेवियों,प्राचार्यों, राजनीतिक प्रतिनिधियों व गणमान्य नागरिकों ने भाग लिया और अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए.
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गुरुजी को ‘भारत रत्न’ दिए जाने की मांग
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कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता एवं समाजवादी चिंतक सुधीर कुमार पप्पू ने दिशोम गुरु शिबू सोरेन को आदिवासी अस्मिता और सामाजिक न्याय का प्रतीक बताया. उन्होंने कहा –
> “गुरुजी के जीवन संघर्ष, त्याग और आदिवासी समाज के लिए उनके योगदान को देखते हुए उन्हें ‘भारत रत्न’ जैसे सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाज़ा जाना चाहिए”.
उन्होंने यह भी मांग रखी कि शिबू सोरेन की जीवनी को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए और उनके नाम पर एक शोध संस्थान की स्थापना की जाए, ताकि नई पीढ़ी उनके विचारों से प्रेरणा ले सके.
कार्यक्रम के दौरान लोगों ने रजिस्टर पर दिशोम गुरु शिबू सोरेन और दिवंगत विधायक रामदास सोरेन के बारे में अपनी भावनाएं लिखीं और गुरुजी को भारत रत्न देने की मांग से संबंधित हस्ताक्षर अभियान में शामिल होकर हस्ताक्षर किया.
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रामदास सोरेन: सादगी और सेवा के प्रतीक
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सभा में उपस्थित लोगों ने हाल ही में दिवंगत हुए पूर्व विधायक रामदास सोरेन को भी याद किया. सुधीर पप्पू ने उन्हें “जमीन से जुड़ा हुआ सच्चा जनप्रतिनिधि” बताते हुए कहा:
> “रामदास जी की सादगी, ईमानदारी और कार्यकर्ताओं के प्रति सम्मान ने उन्हें लोगों के दिलों में अमर बना दिया।”
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गणमान्य लोगों की उपस्थिति
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श्रद्धांजलि सभा में कई प्रमुख व्यक्ति मौजूद रहे, जिनमें प्रमुख हैं:
कुलविंदर सिंह (वरिष्ठ अधिवक्ता)
धनराज हेम्ब्रम, मुहम्मद जाहिद, राहुल कुमार, बाबू नंदी
पूर्व स्वास्थ्य मंत्री डॉ. दिनेश षाड़ंगी
डाॅ विनी षाड़ंगी
पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी
गुरुजी विचार मंच के संयोजक पवन कुमार
आनंद बिहारी दुबे
विजय खान
हिदायत खान
विधायक मंगल कालिंदी
पूर्व सांसद सुमन महतो
उषा सिंह
रुमी जेबा
कार्यक्रम के आयोजक कुणाल षाड़ंगी और पवन ने शिबू सोरेन और रामदास सोरेन के योगदानों को स्मरण करते हुए उनके पदचिह्नों पर चलने का आह्वान किया.


