
,जमशेदपुर,28 जून

जुबली पार्क के जंयती सरोवर में मछलिया मरने का मामला अब गरमाने लगा है।इस बात से टाटा का जु प्रबंधन भी काफी गंभीर है । करीब दो माह पूर्व लेक में बड़े पैमाने पर मछलियों के मरने की घटना पर झारखंड हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था। इस मामले में जिला प्रशासन, टाटा स्टील व जुस्को समेत राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद से भी पक्ष मांगा गया था। इसके बाद टाटा स्टील व जुस्को ने पूरे तालाब की युद्धस्तर पर सफाई करायी थी। इस बीच सबकुछ सामान्य रहा, लेकिन एक बार फिर रविवार को कुछ मछलियों के मरने की खबर से कंपनी प्रबंधन सक्रिय हो गया।
सोमवार को दोपहर करीब एक बजे टाटा स्टील के पर्यावरण विभाग के अधिकारी एसके झा व जेएन रेड्डी, जुस्को के डॉ. मनोज बिस्वाल व राज्य प्रदूषण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी आरएन चौधरी ने घटनास्थल का जायजा लिया। चलंत प्रयोगशाला में पानी के नमूने भी जांचे गए, लेकिन सही-सही कारण का पता नहीं चला। इन अधिकारियों का कहना था कि लेक के पानी में ऐसा कोई रसायन नहीं मिला जिससे मछलियों की मौत हो जाए। उन्होंने मौसम में हो रहे फेरबदल से पानी के तापमान में अचानक हो रहे परिवर्तन को मछलियों के मरने की संभावना जतायी।
भले ही जांच टीम को पानी में कोई गड़बड़ी नहीं मिली हो, लेकिन लेक में मछली मारने वालों का कहना है कि नाले से आने वाला रसायनयुक्त पानी से ही मछलियां मरी हैं। उनका कहना है कि रविवार की शाम को बारी मैदान की ओर से नाले में गंदा और बदबूदार पानी गिरने लगा। इससे नाले के आसपास की कुछ मछलियां देखते ही देखते मर कर पानी में उतराने लगीं। उनका कहना है कि इस तरह का पानी सप्ताह में एक बार नाले से गिरता है। यह अलग बात है कि तालाब की बड़े पैमाने पर सफाई होने से इसका पहले जैसा व्यापक असर नहीं हुआ, लेकिन जब तक रासायनिक पानी का गिरना बंद नहीं होगा, मछलियों का मरना जारी रहेगा।
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