
जमशेदपुर, 21 जून,
टाटा मेन हॉस्पीटल का मनोरोग विभाग टिज्म (स्वलीनता) बारे में जागरुकता पैदा करने के प्रयास में और यह सुनिश्चित करने के लिए कि ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों की विशेष जरूरतें पूरी हो रही है, के लिए आज टाटा मेन हॉस्पीटल में ‘‘बिहेवियरल ट्रीटमेंट इन आॅटिज्म’’ पर एक कार्यशाला का आयोजन किया। इस अवसर पर ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों के अभिभावक, ऐसे बच्चों के साथ रहने वाले प्राचार्य, शिक्षक उपस्थित थे। डॉ प्रतिभा कारंत, विकासात्मक विकलांगता के क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित नाम, ने इस कार्यशाला का संचालन किया। भावी योजनाओं पर चर्चा करने के क्रम में, उन्होंने इस वर्ष के अंत तक रांची और भारत के अन्य 20 स्थानों पर ऑटिज्म पर कार्यक्रम शुरू करने की प्रस्तावित योजनाओं के बारे में जानकारी दी। उन्होंने इस कार्यक्रम के विस्तारीकरण के लिए संभावित स्थानों में से एक के रूप मे मध्य पूर्व को शामिल करने पर भी चर्चा की। यह कार्यक्रम विभिन्न ट्रस्टों द्वारा पोषित है जिसमें रतन टाटा ट्रस्ट भी शामिल है। इस साल का लक्ष्य ऑटिज्म के बारे में विस्तृत अध्ययन और दस्तावेज एकत्रित करना है। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि रुचि नरेन्द्रन ने कहा कि यदि बच्चा एक मील की दूरी तय कर लेता है तो अभिभावकों को उसके साथ पांच मील की दूरी तय करने की जरूरत नहीं है। ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों की सहायता के लिए सहयोग करने वाले अभिभावकों के समूह पर फोकस करना काफी महत्वपूर्ण है। उन्होंने आगे कहा कि हालांकि इस विकार पर पता पहले की चल चुका था, लेकिन अभी भी पुनर्वास की समस्या मौजूद है। इसलिए अभिभावकों, बच्चों और बड़े पैमाने पर समाज को ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों को एक स्वस्थ माहौल प्रदान करने की दिशा में लोगों को शिक्षित करने और जागरुकता पैदा करने की जिम्मेवारी लेनी होगी।
ऑटिज्म के बारे में:
ऑटिज्म को ‘स्पेक्ट्रम विकार’ के रूप में जाना जाता है क्योंकि इसके लक्षण की गंभीरता सामाजिक विकलांगता से लेकर गंभीर विकृति तक हो सकती है जहां कई समस्याएं और बेहद असामान्य व्यवहार देखने को मिलता है। यह गंभीर रूप से आजीवन विकासात्मक विकार है जो खासतौर पर जीवन क े पहले तीन सालों में होता है। इसके कारण तीन मुख्य क्षेत्रों में नुकसान होता है वो है सामाजिक कौशल, संचार (मौखिक के साथ ही गैर मौखिक) कौशल और उनकी जिद एवं प्रतिबंधित व्यवहार। ऑटिज्म से पीड़ित व्यक्तियों में उत्तेजना के प्रति असामान्य प्रतिक्रिया देखी जा सकती है। एक या एक से अधिक इंदि्रयां भी प्रभावित हो सकती है। ये सभी कठिनाइयां व्यवहार में अपने आप देखी जा सकती है यानी लोगों, वस्तुओं और आसपास घटित होनेवाली घटनाओं के साथ संबंध स्थापित करने के असामान्य तरीके। ऑटिज्म कोई दुर्लभ विकार नहीं है, खासतौर पर 10,000 लोगों की आबादी में करीब 20 लोग ऑटिज्म के शिकार है या उनमें ऑटिज्म के लक्षण हैं। ऑटिज्म के शिकार लोगों में से 80 प्रतिशत लड़के हैं। ऑटिज्म पूरी दुनिया में सभी आर्थिक, सामाजिक और जातीय पृष्ठभूमि के परिवारों में पाया जाता है।