आदिवासी संगठनो व माओवादियो के बंद का मिलाजुला असर

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आदिवासी एकता मंच ने किया सङक जाम

संवाददाता.जमशेदपुर ,27 दिसबंर

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झारखंड में गैर आदिवासी को सीएम बनाने और असम नरसंहार को मुद्दा बनाते हुये आदिवासी एकता मंच की ओर से शनिवार को करनडीह चौक पर सड़क जाम किया गया. 10 घंटे तक चले सड़क जाम कार्यक्रम में बाहरी पुलिस फोर्स की ओर से जबरन सड़क जाम को हटाने का प्रयास करने पर झामुमो के युवा नेता बाबूलाल सोरेन और यूथ एसोसिएशन ऑफ जमशेदपुर के अध्यक्ष बहादुर किस्कू ने जमकर विरोध किया. आंदोलन को जारी रखते हुये दूसरे दिन रविवार को काला बिल्ला लगाने और करनडीह सड़क को फिर से जाम करने का निर्णय लिया गया है. जानकारी के अनुसार झारखंड का सीएम रघुवर दास को बनाये जाने के विरोध में आदिवासी संगठन के लोग पहले से ही गोलबंद हो रहे थे. शनिवार की सुबह अचानक आदिवासी एकता मंच के बैनर तले बाबूलाल सोरेन के नेतृत्व में सड़क जाम कर दिया गया. तब मौके पर झामुमो के बहादुर किस्कू भी मौजूद थे. साथ ही मंटू गोप के अलावा बड़ी संख्या में झामुमो समर्थक और आदिवासी संगठनों के लोग पहुंचने लगे. छात्रों का नेतृत्व करने इंद्र हेंब्रम, केरूआडुंगरी के मुखिया कान्हू मुर्मू, चतुर हेंब्रम, धीरज यादव, नरेश सोय आदि पहुंच गये और आंदोलन और दमदार हो गया. मौके पर परसूडीह के थानेदार विपिन कुमार पहुंचे और जाम हटाने का प्रयास किया, लेकिन आदिवासी संगठन के लोग नहीं माने. मौके पर बीडीओ पारूल सिंह भी पहुंची, लेकिन लोग किसी भी सूरत पर सड़क जाम से नहीं हटने का ऐलान कर दिया. अंतत: शाम 5 बजे सड़क जाम को हटा दिया गया. इस बीच यह भी घोषणा की गयी कि रविवार को काला बिल्ला लगाकर सड़क जाम किया जायेगा. सड़क जाम में फातु हांसदा, नाजिर मुर्मू, बुधन हेंब्रम, बाल्ही मार्डी, केसी मुर्मू, डीसी मुर्मू, पदमिनी हांसदा, मार्सल टुडू, जॉन दास, शांति हांसदा, सकला सोरेन, मधु सोरेन, रवि कुरली, नरेश सोय, बनारस दास, मंगल सोरेन, धीरज यादव, संजू सांगा, पप्पू उपाध्याय, मनोज मुर्मू के अलावा अंत में जिला अध्यक्ष महावीर मुर्मू भी पहुंचे और अपना समर्थन किया.

मोदी सीएम बने विरोध नहीं करेंगे: बाबूलाल

जमशेदपुर : झामुमो के युवा नेता बाबूलाल सोरेन ने कहा कि अगर झारखंड राज्य का सीएम नरेंद्र मोदी को बनाया जाता है तो वे इसका विरोध नहीं करेंगे. इसके अलावा अगर किसी गैर आदिवासी को बनाया जाता है तो वे इसका विरोध करेंगे. गैर आदिवासी को सीएम बनाने पर यह संदेश जाता है कि आदिवासी सीएम के लायक नहीं हैं. वे राज्य को नहीं चला सकते हैं. अलग राज्य बनने से लेकर अबतक पिछले 14 सालों से आदिवासी को ही सीएम बनाया गया है. ऐसे में परंपरा के साथ खिलवाड़ करना बर्दाश्त नहीं किया जायेगा.

 

 

 

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