जमशेदपुर- झारखण्ड राज्य का पहला गाँव, जहाँ घर को पहचाना जाएगा बेटी के नाम से दरवाजे पर होगी

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जमशेदपुर।

मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय में पदस्थापित उप समाहत्र्ता-सह-जिला जन सम्पर्क पदाधिकारी संजय कुमार ने जमशेदपुर जिले के पोटका प्रखण्ड के जूड़ी पंचायत अन्तर्गत जनजाति बहुल गांव तिरिंग में ग्रामीणों की मदद से ’’बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’’ को लेकर एक अनूठी पहल की है। ’’मेरी बेटी, मेरी पहचान’’ नामक इस जागरूकता अभियान के तहत घरों के बाहर अभिभावकों की नेमप्लेट के बजाय घर की बेटी के नाम की नेमप्लेट लगायी गई। इस तरह से यह झारखण्ड का संभवतः पहला गांव होगा जहां घरों की पहचान बेटियों के नाम से होगी। इस मुहिम से बेटियों का आत्मबल बढ़ने से वे अभिप्रेरित होगीं, फलस्वरूप महिला सशक्तिकरण को बल मिलेगा साथ ही समाज की पुरुष प्रधान सोच भी बदलेगी।

 

संजय कुमार ने तिरिंग गांव की पंचायत समिति सदस्य श्रीमती उर्मिला सामद, ग्राम प्रधान श्री उमेश सरदार, वार्ड सदस्य श्रीमती अहिल्या सरदार, आंगनबाड़ी सेविका श्रीमती सुभद्रा सिंह, सहायिका श्रीमती गीतारानी नंदी, जल सहिया चन्दनी सरदार, प्राथमिक विद्यालय तिरिंग के प्रधानाध्यापक श्री सुनील यादव व सैकड़ों ग्रामीणों की उपस्थिति में आम राय बनाकर ’’मेरी बेटी, मेरी पहचान’’ नामक अभियान की आरम्भिक पहल आज तिरिंग गाँव के घर के बाहर उनकी बेटियों के नाम की नेमप्लेट लगाकर की गयी।

 

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तिरिंग गाँव जमशेदपुर शहर से 26 किमी तथा पोटका प्रखण्ड कार्यालय से 12 किमी दूर अवस्थित जनजाति बहुल गाँव है। वर्ष 2011 की अधिकारिक जनगणना आंकड़ो के अनुसार यहाँ का शिशु लिंगानुपात 768 बच्चियाँ प्रति 1000 बच्चे हैं। इसी तरह महिला शाक्षरता दर भी केवल 50ण्6ः यानि आधी महिलाएं अशिक्षित हैं। कहने का तात्पर्य इस गाँव में बेटी बचाओ तथा बेटी पढ़ाओ दोनो की जागरूकता मुहिम चलाने की आवश्यकता थी। इसलिए इस पहल के प्रारम्भिक प्रयोग के तौर पर इस गाँव को चुना गया।

 

नेमप्लेट लगाने से पहले गांव के स्कूली छात्राओं, शिक्षकों व ग्रामीण महिलाओं ने ग्राम प्रधान श्री उमेश सरदार के नेतृत्व में ’’मेरी बेटी मेरी पहचान’’ के नारे लगाते हुए पूरे गांव की गलियांे में फेरी लगाई। इसके बाद बच्चियों के माता पिता की उपस्थिति में दरवाजे पर बेटी के नाम की नेमप्लेट लगाई गई। इस अभियान के क्रम में जिन छात्राओं के दरवाजे नेमप्लेट लगाई गई उनमें पूजा सरदार, दिपाली सरदार, फुलमनी मुण्डा, सिया सरदार, सुजला सरदार शामिल हैं। नेमप्लेट में बच्चियों के साथ साथ उनकी माताओं का भी नाम लिखा गया है। उक्त में से एक बच्ची पूजा सरदार तेज बुखार के कारण सोई हुई थी किन्तु जब उसकी माँ ने उसे सूचित किया कि उसके नाम की नेमप्लेट दरबाजे पर लगाई जा रही है तो वह बुखार होते हुए भी दौड़ लगाकर खुद ही उक्त नेमप्लेट लगवाने में मदद करने लगी।

 

लगभग 170 परिवारों वाले इस गाँव में अविवाहित बेटिओं वाले घरों में पीले रंग की पट्टी में नीले आसमानी रंग से बेटी का नाम लिखकर नेमप्लेट लगायी गई। नेमप्लेट के रंग चयन के पीछे आधार है कि पीला रंग प्रकाश, ऊर्जा एवं आशावाद का प्रतीक होता है, जबकि आसमानी नीला रंग बेटियों को आसमान छूने का संदेश देता है।

उक्त कार्यक्रम में जिला जन सम्पर्क पदाधिकारी संजय कुमार के साथ स्थानीय गयाराम सरदार, चांदराय सरदार, भीम सिंह सरदार, सनातन सरदार, शुरू सरदार, कल्याणी सरदार, कमलावती सरदार, सोनामनी सरदार, जसना सरदार, बेबी सरदार एवं जन सम्पर्क कार्यालय से भविष्य कुमार शर्मा, अनूप कुण्डू, विरेन्द्र कुमार डोगरा आदि मौजूद थे।

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