चाईबासा: शहर की नाट्य एवं सामाजिक संस्था सृष्टि चाईबासा आज प्रकाश कुमार गुप्ता द्वारा लिखित एवं निर्देशित नुक्कड़ नाटक “मैं पुलिस हूँ” चाईबासा पुलिस लाइन में उपस्थित सार्जेंट मेजर, पुलिस पदाधिकारी सहित तमाम महिला एवं पुरुष पुलिस गण के बीच प्रस्तुत किया गया। प्रस्तुत नाटक के माध्यम से सृष्टि के कलाकारों ने यह बताने का प्रयास किया कि पुलिस देश समाज का अनमोल रत्न है, पुलिस की नौकरी बहुत ही किस्मत वालों को मिलती है, सब के नसीब में देश और समाज का सेवा करने का मौका नहीं मिलता है। पुलिस पर्व, त्यौहार, शुभ-अशुभ कार्यों में भी अपने घर नहीं जा पाता है, क्योंकि उन्हें 24 घंटे समाज की सेवा में लगे रहती है। लेकिन पुलिस की भी अपनी जज्बात है, इसलिए तो पुलिस अपने आप से रूठी होती है, और हम समाज को ही अपना परिवार मानकर उसी में अपनी खुशी को खोजती है। नाटक के माध्यम से दिखाने का प्रयास किया गया कि किस तरह पुलिस समाज हित में लगे रहती है, कोरोना काल में शहर के विभिन्न चौक चौराहों पर कडे धूप में खड़े होकर आने जाने वाले सभी राहगीरों को लॉक डाउन का पालन करना, एवं सुरक्षा कवच कोरोना से बचाव के लिए क्यों जरूरी है और क्या करना चाहिए, की जानकारी दी। दूसरी तरफ समाज के दुश्मन उग्रवादियों से लोहा लेते हुए भी दिखाया गया। नाटक में दूसरी पक्ष की ओर पुलिस की कमियों को भी दिखाने का प्रयास किया गया, जिसमें वर्दी एवं स्टार का रोब दिखाना, डराना, धमकाना। परेशानियों का बहाना बनाकर नशा पान करना एवं अत्यधिक नशा करने के बाद बीमारी और बीमारी के बाद मौत का वह दृश्य भी दिखाया गया जिसमें वह अपने परिवार के सारे सपने, सारे नाते को तोड़ कर इस दुनिया से विदा हो गया। प्रस्तुत नाटक में प्रकाश कुमार गुप्ता, शिवलाल शर्मा, मनीष कुमार, राजू मछुआ, विकास मुखी, प्रेम मछुआ, अन्ना कुमार, प्रज्ञा कुमारी, सोनू कुमार, आदि कलाकारों ने अपनी अपनी भूमिका को निभाई।
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