BOKARO –टाटा स्टील द्वारा समर्थित रश्मि बिरहोर हायर सेकेंडरी परीक्षा पास करने वाली बिरहोर समुदाय की पहली छात्रा बनीं
वेस्ट बोकारो : अपनी राह की सभी बाधाओं को पार करते हुए वेस्ट बोकारो मांडू प्रखंड के बिरहोर टोला की रश्मि बिरहोर सेंट रॉबर्ट स्कूल, हजारीबाग से हायर सेकेंडरी परीक्षा (12वीं) पास करने वाली रामगढ़ जिले की पहली बिरहोर छात्रा होने का गौरव प्राप्त किया है।
सहमी आवाज में फोन कॉल रिसीव करते हुए अपने परिवार से स्कूल जाने और शानदार अंकों के साथ सेकेंड डिवीजन में 12वीं की बोर्ड परीक्षा उत्तीर्ण करने के भावुक जज्बे से वह अभी भी निकलने का प्रयास कर रही है, जो उसके समुदाय के लिए दुर्लभ है। ‘प्रोजेक्ट आकांक्षा’ के तहत इस युवा लड़की ने टाटा स्टील फाउंडेशन के सहयोग से दो साल पहले 10वीं बोर्ड की परीक्षा उतीर्ण की थी। तमाम बाधाओं के बावजूद उसने एक बार फिर सीखने और आगे बढ़ने के लिए अपनी परिधि से परे जाने के लिए अपने धैर्य और लगन को साबित किया है। भारत में सबसे कमजोर जनजातीय समुदायों में से एक ‘बिरहोर जनजाति’ से आने वाली रश्मि ने घोर गरीबी देखी है और गंभीर व विकट स्थितियों का समाना किया है। फिर भी ये तमाम स्थितियां रश्मि को वह हासिल करने से कभी नहीं रोक पायी, जिसे पाने की उसने पहले से ठान ली थी।
रश्मि बताती हैं, “मेरे माता-पिता चाहते हैं कि मैं और अधिक पढ़ूं और भविष्य में बेहतर नतीजे प्राप्त करूं, क्योंकि मुझे टाटा स्टील फाउंडेशन का भारी समर्थन प्राप्त है। वे चाहते हैं कि मैं आगे बढ़ूं और अधिक ऊंचाई हासिल करुं। उन्होंने मुझे ऐसा कभी महसूस नहीं होने दिया कि मैं बाकी दुनिया से कमतर हूं।“
रश्मि अब अपने समुदाय में कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प के प्रतीक के रूप में खड़ी है, जो टाटा स्टील फाउंडेशन में अपने शिक्षकों और गुरुओं से परामर्श करने के बाद अपने डिप्लोमा कोर्स को आगे बढ़ाने का इरादा रखती है। सपनों को साकार करने के लिए अपने समुदाय के बच्चों की प्रेरणा के रूप में वह आज एक रोल मॉडल बन गयी है।
‘प्रोजेक्ट आकांक्षा’ टाटा स्टील फाउंडेशन के स्नेह और प्रयास का एक श्रम है, जिसे वर्ष 2012 में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य इन वंचित और विलुप्तप्राय समुदायों के बच्चों, विशेष रूप से लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा और समर्थन देकर भारत में कमजोर जनजातीय समुदायों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाना है। ’प्रोजेक्ट आकांक्षा’ ने तब से अब तक कई लोगों के जीवन को प्रभावित किया है और इस प्रोजेक्ट के तहत 220 बिरहोर बच्चों को नामांकित किया गया है, जिन्हें शैक्षिक सहायता दी जाती है। यही नहीं, औपचारिक शिक्षा के माध्यम से उन्होंने जो सीखा है, उसे लाभप्रद बनाने के लिए उन्हें परामर्श दिया जाता है।
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