जमशेदपुर -स्कूल फ़ीस को लेकर शिक्षा मंत्री की नतिनी का दिल्ली पब्लिक स्कूल ने नाम काटा, भाजपा का सरकार पर तंज “हिम्मती नहीं, मज़बूर सरकार”

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जमशेदपुर।

झारखंड में निज़ी स्कूलों की मनमानी और अभिभावकों की जेब पर पड़ने वाले भारी भरकम बोझ की सच्चाई इसी से लगाई जा सकती है कि बोकारो (चास) के दिल्ली पब्लिक स्कूल ने समय पर फ़ीस भुगतान न होने के कारण कार्रवाई करते हुए सूबे के शिक्षा मंत्री जगन्नाथ महतो की नतिनी का ऑनलाइन क्लास से नाम काटने की कार्रवाई कर दी। इस मामले की जानकारी मिलते ही शिक्षा मंत्री स्कूल पहुँच गये। हालांकि उन्होंने अपनी नतिनी का स्कूल फ़ीस स्वयं भुगतान कर दिया। लेकिन निज़ी स्कूलों की मनमानी का आलम सरकार को आईना दिखाने के लिये पर्याप्त है। इस प्रकरण पर भारतीय जनता पार्टी ने राज्य सरकार को घेरा है। प्रदेश भाजपा ने झारखंड सरकार की मंशा और इच्छाशक्ति पर सवाल खड़े किये है। प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने झारखंड सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि वर्तमान सरकार हिम्मत से नहीं बल्कि मज़बूरी से चल रही है। कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि चास के दिल्ली पब्लिक स्कूल की घटना तो बस एक उदाहरण मात्र है। चूंकि यह मामला सूबे के शिक्षा मंत्री के घर से सम्बंधित था इसलिए मंत्री जी आनन फानन में स्कूल पहुँच गये। भाजपा ने सवाल उठाया कि हर दिन सूबे के सैकड़ों-हज़ारों अभिभावक निज़ी स्कूलों की दोहन और शोषण नीति के शिकार हो रहें है लेकिन झारखंड सरकार संवेदनशून्य है। कहा कि प्राइवेट स्कूलों की माफियागिरी के आगे शिक्षा मंत्री नख, दंत विहीन शेर के समान मज़बूर हैं। भाजपा ने सवाल किये की आख़िर ऐसी कौन सी मज़बूरी है कि झारखंड सरकार निज़ी स्कूलों के आगे बौने, बेबस और लाचार हो गये हैं। लगभग दो माह पूर्व सरकार ने आदेश जारी किया था कि महज लॉकडाउन अवधि में ट्यूशन फ़ीस जमा लिए जायें। इसके बावजूद अधिकांश प्राइवेट स्कूलों द्वारा विभिन्न प्रकार के शुल्कों को समाहित करते हुए अभिभावकों से भारी भरकम फ़ीस वसूले जा रहे हैं। स्कूलों द्वारा ट्यूशन फ़ीस के अतिरिक्त मेंटेनेंस फ़ीस, लैब फ़ी, गेम्स फ़ी, लाइब्रेरी फ़ी, इंटरनेट फ़ी, एसएमएस फ़ीस, सरीख़े विभिन्न प्रकार के शुल्क वसूले जा रहे हैं। भुगतान ना कर पाने की स्थिति में बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई बाधित कर दी जा रही है। भाजपा प्रदेश प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि प्राइवेट स्कूलों की मनमानियों के आगे जिला शिक्षा विभाग, शिक्षा मंत्रालय सहित झारखंड सरकार अत्यंत कमज़ोर और मज़बूर है। लोकहित के विषयों पर हिम्मत दिखाने की जगह सरकार मज़बूरी दर्शा रही है।

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