जमशेदपुर। सीतारामडेरा में सृजन संवाद की 84 वी गोष्ठी का आयोजन किया गया इस दौरान बिलासपुर से आए खुर्शीद हयात ने अपनी कहानी “पहाड़ नदी औरत” का पाठ किया कहानी सुनने के बाद संजय दत्ता ने कहा कि इनकी कहानी प्रकृति से जुड़ी हुई है इसे प्रकृति से जोड़कर मानव मन में विसंगतियों को दर्शाया गया है कहानी में भाषा शैली उर्दू मिश्रित है जो कहानी को बांधे रखती है उनकी कहानी में पूरी प्रकृति एवं कैनवास की तरह नजर आते हैं इस पर विभिन्न रंगों से सजा कर चित्र भार उस कहानी को पूर्ण करता है संजय दत्त ने कहा कि इनकी कहानियों में देखा जाए तो कोई कैरेक्टर नहीं है लेकिन इन के बावजूद भी इनकी कहानी में ढेर सारे ऐसे पात्र हैं जो कहानी को संपूर्ण बनाते हैं अजय मेहता ने कहा कि एक कहानी के इस अफ़साने में कई रंग हैं जिस पर शोध की जरूरत है कहानी आत्मपरक है डॉ आशुतोष कुमार झा ने निर्मल वर्मा का जिक्र करते हुए कहा कि निर्मल वर्मा को पढ़ते हुए भी समझने में थोड़ी मुश्किल होती थी है इस कहानी की सुनते हुए इसे समझने की काफी जरूरत है इसमें सहज काव्यात्मक ता है वह कहानीकार जो समय को प्रतिबिंब को कहानी के माध्यम से सामने प्रस्तुत कर देता है वही सही कहानीकार है वहीं चंद्रावती कुमारी ने कहा कि कहानी अपने आप में बांधे रखती है अरविंद अंजुम ने कहा कि इस कहानी को किस रूप में देखा जाए यह कहना मुश्किल है यह कहानी फिलॉस्फी के रूप में समझ आती है कहानी में ऐसी कई आयाम है जो बताती हैं कि कहानी में मनोवैज्ञानिक ता पूर्ण रूप से है वही अभिषेक गौतम ने इसे स्त्रीवादी कहानी से जुड़कर देखा और उन्होंने कहा कि अगर समाज में स्त्री ना रहे तो जीवन व्यर्थ है इन्हें रहना जरूरी है डॉक्टर विजय शर्मा ने कहा कि सबसे पहले तो इन्हें कहानी पढ़ने का अंदाज ही अलग है इस कहानी को एक से ज्यादा बार पढ़ने की जरूरत है कहानी के घटने के लिए कई विवो की जरूरत होती है जो इन्होंने इसका खूबसूरती से अपनी कहानी में इस्तेमाल किया कहानी प्रवाह मेथी कहानी के शब्दों का चयन भी अच्छा है इसे पर्यावरण से भी जोड़कर देखा जा सकता है प्रदीप कुमार शर्मा ने कहा कि कहानी कुछ ऐसे शुरू होती है जिसे एक यात्रा में पुरुष और सामने बैठी स्त्री जो खिड़की के सामने बैठकर प्रकृति को पल-पल बदलते रंगों को निहार रही है और पुरुष उस स्त्री को प्रकृति के बेहतरीन नदी से जुड़कर अपनी कल्पनाओं में खोया हुआ है इनकी कल्पना में प्रकृति को उजाड़ने में मानव की त्रासदी झलकती है अनवर इमाम ने कहा कि इनकी कहानी का प्रवाह बहुत ही तीव्र है इसके साथ ही इस गोष्ठी में मीनू रावत डॉ संध्या सिन्हा अपर्णा संत सिंह सरिता सिंह अरविंद अंजुम खुर्शीद हयात अनवर इमाम संजय दत्त अजय मेहताब डॉ आशुतोष कुमार झा प्रदीप कुमार शर्मा चंद्रावती कुमारी कन्हैया लाल सिंह अभिषेक गौतम और डॉ विजय शर्मा ने भी अपने -अपने विचार रखें
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