JAMSHEDPUR NEWS :शहर के इन तीन इलाकों में लगा निषेधाज्ञा

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 जमशेदपुर।

शहर के बिष्टुपुर तलवार बिल्डिंग(BISTUPUR TALWAR BUILDING) के पास स्थित गोलचक्कर, सोनारी एयर पोर्ट (SONARI AIR PORT)गोलचक्कर और कदमा बीएच एरिया रोड नंबर 19 ननका पान दुकान के पास गोलचक्कर पर धारा 163 के तहत रविवार की सुबह से अगले आदेश तक के लिये लागू किया गया है. साथ ही दोनों जगहों पर दंडाधिकारी के साथ फोर्स की तैनाती की गई है। वज्र वाहन भी तैनात किया गया है। धालभूम एसडीओ शताब्दी मजूमदार ने इसे लेकर आदेश जारी किया है जिला प्रशासन ने य़ह फैसला बिरसा सेना के द्वारा बिष्टुपुर गोलचक्कर पर 26 जनवरी को जयपाल सिंह मुंडा की प्रतिमा लगाने की घोषणा के बाद लिया हैं।

  यह काम नहीं कर सकते है यहां पर 

जिला प्रशासन के निर्देश के तहत इस दौरान गोलचक्कर के 100 मीटर के दायरे में बिना सक्षम अधिकारी की अनुमति के उक्त स्थल पर कोई नहीं जा सकता है.

उक्त स्थल पर किसी भी व्यक्ति के बिना सक्षम पदाधिकारी की अनुमति के जाने पर प्रतिबंध रहेगा।

किसी प्रकार का धरना या प्रदर्शन, घेराव, पुतला दहन का प्रदर्शन निषेध होगा।

किसी प्रकार का अस्त्र-शस्त्र या लाठी-डण्डे, तीर-धनुष, गड़ासा-भाला आदि लेकर जाने पर निषेध रहेगा।

बिना अनुमति के ध्वनि विस्तारक यंत्र का उपयोग करना निषेध होगा।

उपद्रव अथवा शांति भंग करने के उद्देश्य से पाँच या पाँच से अधिक व्यक्ति उक्त स्थल पर एक साथ जमा नहीं होंगे

 

क्या कहा शहीद स्मारक समिति के सदस्य जयनारायण मुंडा ने 

झारखंड छात्र मोर्चा के पूर्व कोल्हान प्रभारी सह शहीद स्मारक समिति के सदस्य जयनारायण मुंडा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि “जिला प्रशासन के द्वारा धारा 163(144) बिष्टुपुर तलवार बिल्डिंग के समीप स्थित मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा गोलचक्कर तथा सोनारी एरोड्रम के समीप स्थित मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा गोलचक्कर में लगा दिया गया। लेकिन किस आधार पर ? यह झारखंड के आदिवासियों को और मूलवासीयों को पता नहीं है। झारखंडी जनता जान ले की पहले जो धारा -144 था उसे बदल कर धारा -163 कर दिया गया। यानी उक्त स्थान पर धारा 144 लग गया। कोई भी व्यक्ति सक्षम अधिकारी के अनुमति के बिना उक्त स्थान पर नहीं जा सकता। लेकिन झारखंडवासियों ने क्या गलती किया था की ऐसा घिनौना धारा का इस्तेमाल किया गया ? इसका एक ही रास्ता है। जिला प्रशासन, टाटा स्टील प्रबंधन तथा आदिवासी बुद्धिजीवियों की जल्द एक आवश्यक बैठक बुलाकर निराकरण निकाला जाए अन्यथा झारखंड के आदिवासियों और मूलवासीयों के द्वारा उनके भावनाओं को चोट पहुंचाने के आरोप में झारखंड के सभी थानों में केस दर्ज कर धारा 166 के तहत कानूनी कारवाई करने की मांग किया जाए।

 

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