जमशेदपुर-संस्कृति शास्त्रीय नृत्य उत्सव “नटवरी नृत्य का हुआ आयोजन

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जमशेदपुर।
शहर के कत्थक नृत्य को समर्पित संस्था नृत्यांगन इंस्टिट्यूट ऑफ़ परफोर्मिंग आर्ट्स , जमशेदपुर के तत्वाधान में माइकल जॉन सभागार में भारत की विविध संस्कृति शास्त्रीय नृत्य उत्सव “नटवरी नृत्य उत्सव” कत्थक , ओडिसी , मणिपुरी एवं भरतनाट्यम के साथ मना । कार्यक्रम का शुभारम्भ अतिथियों एवं संस्था के वरिष्ट कलाकारों ने दीप प्रज्ज्वलन कर किया तत्पश्चात संस्था के कलाकारों के द्वारा पंडित संदीप बोस के निर्देशन में नृत्य की प्रस्तुति दी I इसके बाद शास्त्रीय नृत्यों की महफ़िल सजी जिसमे आमंत्रित कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति दी I पहली प्रस्तुति में नृत्यांगना जुगनू कपाडिया ने एकल नृत्य में भरतनाट्यम पेश किया I मल्लारी ….. एवं “क्षीरसागर श्याना कीर्तन” पर नृत्य करके सबको सम्मोहित किया I दूसरी प्रस्तुति में ओडिसी नृत्य कलाकार संजय शॉ एवं संगमित्रा जाना ने जुगल नृत्य में ओडिसी नृत्य प्रस्तुत किया I मोहना पल्लवी…….. , कि शौभाग्गो कुंजे ….. में हाथों की मुद्रा एवं भाव भंगिमा ने सभी को मंत्र मुग्ध कर दिया I तीसरी प्रस्तुति में एकल नृत्य में सुष्मिता कांजीलाल ने कत्थक नृत्य की शानदार प्रस्तुतियां दी , उन्होंने दुर्गा स्तुति , तराना एवं दादरा प्रस्तुति दी I उनकी भाव-भंगिमाओं , मुद्राओं , तटस्थता और परफेक्शन ने दर्शकों को तालियाँ बजाने पर मजबूर कर दिया I चतुर्थ प्रस्तुति में कोलकाता के नृत्यांगना सुदर्शना चक्रवर्ती एवं नम्रता चटर्जी ने जुगल नृत्य में मणिपुरी नृत्य प्रस्तुत किया I उन्होंने राधा नर्तन , नानी चुरी एवं जुगल नर्तन की मनमोहक प्रस्तुति देकर कार्यक्रम में समां बाँधा I Iअंतिम प्रस्तुति में राजीब घोष ने एकल नृत्य में कत्थक नृत्य की शानदार प्रस्तुतियां दी , उन्होंने गुरु वंदना , शिव तांडव , तीन ताल एवं ठुमरी प्रस्तुत कर प्राचीन भारतीय कला को जीवंत कर दिया। I कार्यक्रम के पश्चात कलाकारों को पट्टे एवं सम्मान पत्र से सम्मानित किया गया I कार्यक्रम में शहर के कई गणमान्य लोग उपस्थित थे पूरा सभागार न्रित्याप्रेमियों से भरा पड़ा था I
अंत में धन्यवाद ज्ञापन नृत्यांगन इंस्टिट्यूट ऑफ़ परफोर्मिंग आर्ट्स , जमशेदपुर के संस्थापक पंडित संदीप बोस ने दिया अपने ज्ञापन में संस्था के संस्थापक पंडित संदीप बोस ने बताया की देश में ललित कलाओं और संगीत के क्षेत्र में आज बहुत सी ऐसी विधाएं है जो या तो बहुत कम देखी – सुनी जाती है या बिलकुल ही भुला दी गयी है I संस्था की ओर से ऐसी मृतप्राय कलाओं में फिर से प्राण फूंकने के उद्देश्य से इन परफोर्मेंस के जरिये संस्था युवाओं को कला और संगीत से रूबरू करवाने का निरंतर प्रयास कर रही है एवं शहरवासियों का इसी तरह का सहयोग रहा तो भविष्य में भी इस तरह के उत्सव का आयोजन आगे भी होता रहेगा I

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