कौशीक घोष चौधरी
जमशेदपुर।
परंपरागत नियम के तहत बिष्टुपुर स्थित रामकृष्ण मिशन में दिनांक 28 सितम्बर को महा अष्टमी के दिन कुमारी पूजा का आयोजन किया जायेगा । रामकृष्ण मिशन सूत्रों के मुताबिक कुमारी पूजन के लिए कुमारी की चयन प्रक्रिया अपने अंतिम चरण पर है Iमिशन सूत्रों के मुताबिक 1901 में स्वामी विवेकानंद ने बेलूड़ मठ में पहली बार कुमारी पूजा की शुभारंभ की। इसके बाद से देश व विदेश में विभिन्न जगहों में रामकृष्ण मिशन के प्रत्येक शाखा में दुर्गा पूजा के समय कुमारी पूजा किया जाता है। धर्म प्रेमियों के मुताबिक दुर्गा पूजा की सार्थकता के लिए कुमारी पूजा अनिवार्य है। या देवी सर्वभूतेसु मातृरूपेण संस्थिता यानी दुनिया की सभी नारी मातृ रूप में आराध्य है। शास्त्र के मुताबिक 5 से 8 वर्ष की कन्या कुमारी रूप से पूजी जाती है। प्रथा के तहत प्रतिवर्ष महा अष्टमी के दिन जमशेदपुर के रामकृष्ण मिशन में दुर्गा पूजा के साथ-साथ वैदिक मत से कुमारी पूजा होती है। कुमारी को बनारसी साड़ी, गहने दिए जाते हैं। मां
दुर्गा के पास कन्या को बिठाकर कुमारी रूप में उसकी पूजा की जाती है। जमशेदपुर रामकृष्ण मिशन के स्वामीजी पार्थो महाराज ने बताया कि इसबार भी कुमारी पूजा नियम निष्ठा के साथ की जाएगी। वर्तमान समाज में नारी शक्ति का विकास करने के लिए कुमारी पूजा की प्रासंगिकता बढ़ गई है। आज से वर्षो पहले स्वामी विवेकानंद यह समझ चुके थे। इसी वजह से उन्होंने कुमारी पूजा शुरू की।
इसी के तहत रामकृष्ण मिशन कुमारी पूजा को जारी रखे हुए है। इस पूजा के अवसर पर काफी संख्या में श्रद्धालु मिशन में आते हैं। इस दिन भक्तो के लिए पूजा में शामिल होने के लिए विशेष प्रसाद की व्यवस्था रहेगी।
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