
बाढ़ आने के पूर्व लोगो को करेगी ये सावधान
महेंद्र प्रसाद,

सहरसा
बिहार का शोक’ कही जाने वाली कोसी नदी में अर्ली वार्निंग सिस्टम लगाया जाएगा। इसमें विश्व बैंक बिहार की मदद करेगा। यह बाढ़ आने के पहले ही बाढ़ के खतरे से अलर्ट कर देगा। बीते कुछ वर्षों में कोसी बिहार के लिए सबसे अधिक परेशानी का सबब बनी हुई है। कोसी, पूर्णिया प्रमंडल के साथ-साथ आस-पास के कई जिलों में यह हर साल बाढ़ लाती है। तमाम कोशिशों के बाद भी सरकार की तैयारी आधी-अधूरी ही साबित होती है। इसीलिए राज्य सरकार ने इस नदी में चेतावनी देने वाला सिस्टम लगाने का निर्णय लिया।
कोसी में ही वर्ष 2008 में कुशहा में प्रलयंकारी बाढ़ आयी जिसने उत्तर बिहार में भारी तबाही मचायी। आधे दर्जन जिलों में कोसी ने जमकर तांडव मचाया। करोड़ों का नुकसान हुआ और हजारों लोग मारे गए। आज भी बिहार कुशहा त्रासदी से बाहर नहीं निकल पाया है। कोसी नदीं की प्रकृति है कि वहां अचानक पानी की मात्रा बढ़ती है और देखते-देखते वह प्रचंड रुप धर लेती है। इसीलिए सरकार ने बाढ़ के बढ़ते खतरे को देखते हुए कोसी नदी में बाढ़ पूर्वानुमान के लिए अर्ली वार्निंग सिस्टम लगाने का निर्णय लिया है।
इस वर्ष भी कोसी में ही पानी की मात्रा सबसे तेजी से बढ़ और घट रही है। कभी-कभी तो यह अचानक एक लाख क्यूसेक को भी पार कर जाता है। पिछले 72 घंटे में नेपाली इलाके में कोसी के 13 जलग्रहण क्षेत्रों में 12 में जमकर बारिश हुई है जबकि गंडक के 21 में से 12 जलग्रहण क्षेत्र और बागमती के 10 में से 7 जलग्रहण क्षेत्रों में बारिश हुई। कोसी के वराह में सुबह जलस्राव का मात्रा 80 हजार क्यूसेक थी जो बाद में बढ़कर 1.13 लाख पर पहुंच गयी। इसी तरह वीरपुर में यह 90 हजार से 1.10 लाख पर पहुंच गया। कोसी में जलस्राव की आवृत्ति अन्य नदियों की अपेक्षा सबसे अधिक है।
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