
महेंद्र प्रसाद,
सहरसा
बिहार का कोसी दियारा में सरकार की विकास की कई योजना चलती है। लेकिन सरकार के मुलाज़िम हो या अधिकारी सरकार की योजना को लागु नहीं करवाते है बल्कि कमाने का साधन बना दिया है। सरकार के द्वारा शिक्षा के अधिकार किस चिड़िया का नाम है शयद इस दियारा के ना तो बच्चे जानते है एवं न ही अभिवावक।

सेटिंग से चलता है विद्यालय- तटबंध के अंदर के अधिकांश विद्यालय बंद रहती है। खुलती है तो सिर्फ सवतंत्रा दिवस या गणतंत्र दिवस पर। बांकी समय हेडमास्टर से मिलकर सालो भर वेतन उठाते है। तटबंध के अंदर की ना तो बच्चे शिक्षित हो रहा है एवं ना ही अधिकारी बच्चे को शिक्षित करने में रूचि लेते है। शिक्षा के अधिकार कानून की अगर कही धज़्ज़िया उड़ाई जाती है वो कोशी दियरा के तटबंध के अंदर का विद्यालय जिसे दिखने का फुरसत ना तो सरकार को है एवं न ही अधिकारी को।
*महीनो महीना बंद रहता है विद्यालय।
*घर से ही हाज़िरी बना उठाते है शिक्षक वेतन
* गुणवत्ता शिक्षा की पोल खोलती ये तस्वीर
नदी पार कर जाते है पढाई करने- अधिकांस जगहों पर विद्यालय जाने में नदी आता है। छात्रो को नाव से पर कर विद्यालय जाने की मज़बूरी रहती है। खतरे से खेलकर प्रितिदिन ये बच्चे विद्यालय तो जाते है लेकिन विद्यालय में न तो शिक्षक रहते है एवं न ही विद्यालय के कोई अन्य कार्य होता है।
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