-चश्मा, मेज, कुर्सी से लेकर हर छोटी जानकारियां की साझा
-कई अफसर जहां छिपा रहे अपनी प्रापर्टी, वहीं आइएएस अविनाश कुमार ने पेश की मिसाल
रांची।
भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को हर साल अपनी संपत्ति का पूरा ब्यौरा देना अनिवार्य है। ऐसा नहीं करने पर उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है। हालांकि सख्त नियमों के बावजूद कुछ अफसर जहां इस प्रक्रिया की अनदेखी करते हैं वहीं ऊंगली पर गिने जाने वाले कुछ हाकिम ऐसे भी हैं जो जमीन, जायदाद से लेकर वैसी छोटी जानकारियां भी केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय को उपलब्ध कराते हैं जिसे सामान्यतः लोग छिपाते हैं। केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय को संपत्ति ब्योरे की ताजा जानकारी में भी ऐसे अफसर हैं जिन्होंने खुली किताब की तरह सबकुछ सार्वजनिक किया है। झारखंड के परिणामपरक अफसरों में शुमार
अविनाश कुमार भी इनमें से एक हैं। प्रधान सचिव स्तर के अधिकारी अविनाश कुमार बिहार-झारखंड में अहम प्रशासनिक पदों पर रहे हैं और संप्रति ग्रामीण विकास विभाग की जिम्मेदारी का निर्वाह कर रहे हैं। श्री कुमार ने चश्मे, मेज, कुर्सी तक का ब्यौरा दिया है। शादी में मिली मारुति कार से लेकर गिफ्ट में मिली घड़ियों की जानकारी तक उनके ब्योरे का हिस्सा है। जबकि राज्य के एक दर्जन से ज्यादा हुक्मरानों ने संपत्ति विवरण के मामले में केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय को जहां ठेंगा दिखा दिया है, वहीं कुछ वरीयतम अफसरों का दावा है कि पूरे कार्यकाल में उन्होंने कोई संपत्ति नहीं बनाई। हालांकि खुद को सिरे से भूमिहीन और भवनहीन बताने वाले अफसरान का दावा आसानी से गले नहीं उतरता।
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मेरे पास बंगला है…गाड़ी है
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वैसे गरीब राज्य में शुमार झारखंड के अफसर हर मामले में अमीरों को टक्कर देते हैं। इनके पास देश के बड़े शहरों में जमीनें, फ्लैट से लेकर तमाम संपत्ति है। झारखंड में भी खूब जमीन, जायदाद है। वहीं सुखदेव सिंह सरीखे अफसर दावा करते हैं कि उनके पास कोई संपत्ति नहीं। इस सूची में कुछ नये अफसर भी हैं। राज्य के मुख्य सचिव से लेकर पुलिस महानिदेशक और नब्बे फीसद से ज्यादा अफसरों के पास एक स्थान से ज्यादा जगहों पर अचल संपत्ति है।
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