दार्जलिंग।
गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) का बेमियादी बंद शनिवार को हिंसक हो गया।सिक्युरिटी फोर्स के एक अफसर की धारदार हथियार से हत्या कर दी गई।उधर,जीजेएम ने भी पुलिस पर उनके दो सपोर्टर को मार देने का आरोप लगाया।राज्य के हालात पर सीएम ममता बनर्जी ने कहा है कि राज्य में जो कुछ हो रहा है उसके पीछे गहरी साजिश है।बतादें किजीजेएम अलग राज्य बनाने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहा है।शनिवार को राज्य में बंद का छठा दिन था।पुलिस के मुताबिक,जीजेएम सपोर्टर्स ने उन पर पत्थर और बॉटल फेंकीं।उनकी गाड़ियों में आग लगा दी।पुलिस को जीजेएम सपोर्टर्स को काबू करने के लिए लाठीचार्ज करना पड़ा।आंसू गैस के गोले भी छोड़े गए।इस हिंसा में इंडियन रिजर्व बटालियन (आईआरबी) के असिस्टेंट कमांडर टीएम तमांग गंभीर रूप से घायल हो गए। बाद में उनकी इलाज के दौरान मौत हो गई।जीजेएम के बंद पर ममता बनर्जी ने कहा,”यह सब एक दिन में नहीं हुआ। ये हथियार एक दिन में नहीं जुटाए गए।वो (प्रदर्शनकारी) इन्हें काफी वक्त से जुटा रहे थे।इस साजिश की गहरी जड़ें हैं।आपने 5 साल ऐश किए अब जब चुनाव नजदीक हैं और आपको जनता का भरोसा खो देने का डर है तो हिंसा पर उतारू हो गए।उन्होंने कहा,”बेहद दुखद है कि उन्होंने (प्रोटेस्टर्स) हमारे एक असिस्टेंट कमांडर टीएन तमांग को खुकरी (कटार जैसा हथियार) घोंपकर मार डाला।ममता ने सवाल किया,”उन्हें अवैध हथियार और पैसा कहां से मिलता है। हम उनसे बातचीत को तैयार हैं।हम संविधान के उल्लंघन का सपोर्ट नहीं कर उधर,जीजेएम चीफ बिमल गुरंग ने आरोप लगाया,पुलिस गैरकानूनी तरीके से हमारे सपोर्टर्स के घरों में घुस रही है।उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है।उन्हीं में से दो को पुलिसने मारडाला।अब हमारा आंदोलन और मजबूत होगा।हालांकि, एडीजी लॉ एंड ऑर्डर अनुज शर्मा ने जीजेएम के आरोपों को खारिज किया है। उनका कहना है कि गोलियां पुलिस ने नहीं बल्कि जीजेएम सपोर्टर्स की ओर से चलाई गई थीं।जीजेएम के असिस्टेंट जनरल सेक्रेटरी बिनय तमंग ने दावा किया कि पुलिस और टीएमसी के वर्कर्स ने शनिवार तड़के करीब 3 बजे उनके घर पर छापा मारा।तोड़फोड़ भी की गई।परिवार के लोगों को धमकी भी दी गई।उनका कहना था कि यह कार्रवाई ठीक उसी तरह की गई,जैसी 2 दिन पहले पार्टी चीफ बिमल गुरुंग के घर पर की गई थी।तमंग ने दावा किया कि पुलिस ने जीजेएम के विधायक अमर राय के बेटे को भी गिरफ्तार कर लिया गया है।राय का कहना है कि उनके बेटे का राजनीति से कोई लेनादेना नहीं है।जीजेएम के जनरल सेक्रेटरी रोशन गिरी ने इस मामले में केंद्र सरकार से दखल की मांग की है।उन्होंने कहा-दार्जिलिंग में हालात खराब होते जा रहे हैं।हम पीएम और होम मिनिस्टर को बताएंगे कि राज्य सरकार किस तरह आंदोलन को दबारही है।पिछले महीने ममता सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी किया।इसमें कहा गया कि राज्य के सभी स्कूलों को 10th क्लास तक बांग्ला को कम्पलसरी लैंग्वेज के तौर पर पढ़ाना होगा। दार्जिलिंग में जीजेएम ने इसका विरोध किया और इसके साथ ही कई साल पुरानी अलग गोरखालैंड की मांग भी उठाई।हजारों टूरिस्ट्स फंस गए और केंद्र ने कड़ी मशक्कत के बाद इन्हें निकाला। ममता सरकार की मांग पर यहां सेना भी तैनात की गई।इस दौरान काफी हिंसा भी हुई।जीजेएम के आंदोलन का सबसे ज्यादा असर दार्जिलिंग के टूरिज्म पर पड़ा है।खास बात ये है कि दार्जिलंग में टूरिज्म ही सबसे बड़ा बिजनेस सेक्टर है।यहां आने वाले टूरिस्ट्स की तादाद करीब 90 फीसदी कम हो गई है।दार्जिलिंग को क्वीन ऑफ हिल्स या पहाड़ों की रानी भी कहा जाता है।न्यूज एजेंसी से बातचीत में एक कारोबारी ने कहा-सब कुछ तो आंदोलन और हिंसा की वजह से बंद हो गया है।अब टूरिस्ट्स आएंगे भी तो उन्हें क्या मिलेगा? जब तक इस इलाके में शांति नहीं होगी तब तक आप कोई उम्मीद नहीं रख सकते।बतादें कि1860से ही दार्जिलिंग सबसे मशहूरटूरिस्ट डेस्टिनेशन में से एक गिना जाता है।हर साल यहां करीब एक लाख टूरिस्ट आते हैं। भारत में टूरिज्म के लिहाज से पिछले साल दार्जिलिंग तीसरे नंबर पर रहा था।
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