झाझा-रेलवे इंस्टिच्यूट में लगी आग,फर्नीचर व किताबें हुईं स्वाहा

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राहुल राज 

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झाझा।
झाझा स्थित रेलवे इंडियन इंस्टिच्यूट में सोमवार की सुबह आग लग जाने की घटना सामने आयी है। घटना में कोई हताहत नहीं हुआ है। पर इंस्टीच्यूट के कई दरवाजे,खिड़कियाँ,मेज व कुर्सियां आग की भेंट चढ़ गई बताई जाती हैं। बड़ा नुकसान इंस्टीच्यूट की लाइब्रेरी में रखीं उन अनेकों दुर्लभ किताबों का हुआ है जिन्हें आग की लपटों ने पूरी तरह निगल लिया। हादसे के बीच राहत की एक बड़ी बात यह रही कि इंस्टीच्यूट परिसर में ही अवस्थित एक मंदिर के अगलगी वाले हिस्से के बिलकुल सटे होने के बावजूद मंदिर क9 कोई क्षति नहीं पहुंची है। पुजारियों ने बताया कि मंदिर के इन्वर्टर व बैटरी पर चिंगारी का एक टुकड़ा गिरा जरूर पर उससे कोई नुक्सान नहीं हुआ। बताया कि प्रभावित हिस्से से सटी एक खिड़की जरूर आग के लपेटे में आ गई है।स्थानीय एसएम एम-के-मिश्रा एवं आईओडब्लू ए-हेम्ब्रम के अनुसार अगलगी की वजह फिलहाल स्पष्ट नहीं हो पाई है। भवन में पॉवर सप्लाई कटे होने की बात बताते हुए शॉर्ट सर्किट की संभावना स्वतः ही निर्मूल हो जाती है। आईओडब्लू फर्नीचर व किताबों के नुक्सान की बात स्वीकार की है।
आग बुझने के बाद पहुंची दमकल:
अगलगी की घटनाओं के प्रति सिस्टम कितना संवेदनशील है इसकी एक बानगी सोमवार को पुनः देखने को मिली ली। बता दें कि ताजा मामले में भी जमुई से फायर ब्रिगेड की गाड़ी घटना सामने आने के करीब दो घंटे बाद मौके पर पहुंचती दिखी। इतना ही नहीं,स्थानीय घटनाओं से तत्काल निपटने के उद्देश्य से स्थानीय थाना में स्टैंड बाय कराकर राखी गई तीन सौ लीटर पानी की क्षमता वाली एक छोटी दमकल तो अंत तक भी मौके पर नहीं पहुँच पाई दिखी। बकौल एसएम,थाना ने यह कहते हुए उक्त छोटी दमकल को भेजने में लाचारी जता दी कि दमकल का ड्राईवर नहीं है। इस बीच स्थानीय रेलकर्मी के पुत्रों समेत कई अन्य युवाओं की फ़ौज़ ने जज्बे व जुनून का परिचय देते हुए कड़ी मशक्कत से दमकल आने के पूर्व ही आग पर पूरी तरह काबू पा लिया था। एसएम श्री मिश्रा ने बताया कि सुबह के करीब साढ़े छह बजे घटित उक्त घटना की सूचना उन्होंने जमुई एसएम के जरिए करीब सात बजे जमुई के अग्निशमन विभाग को दे दी थी। कहा कि उन्होंने फिर फ़ोन कर दमकल भेज दिए होने की सूचना भी दी थी।

भगवान् भरोसे थी उक्त भवन की सुरक्षा:
अंग्रेजों के जमाने में बनी रेलवे की उक्त धरोहर की सुरक्षा आज के दिन भगवान भरोसे ही है। बता दें कि उक्त धरोहर के रख-रखाव की जिम्मेदारी स्थानीय आईओडब्लू के कंधों पर है। स्थानीय युवक चन्दन व कुंदन मिश्रा,राजीव, चिकू व् बंटी रावत आदि बताते हैं कि करीब दो साल पूर्व तक यहां श्याम सुंदर प्रसाद नामक एक चोकीदार हुआ करता था। पर,बकौल उक्त युवक रेलकर्मी यूनियन के एक स्थानीय नेता ने अपने प्रभाव के जरिए उक्त चौकीदार को यहां से रुख़सत करवा दिया था। लोगों का कहना था कि कोई रखवाली नहीं होने के मद्देनज़र अब यह भवन नशेड़ियों व गंजेड़ियों का अड्डा बन गया है। हालांकि उक्त धरोहर के रहनुमा आईओडब्लू ने वहां कभी चौकीदार होने की बात को ही सिरे से नकार दिया है।

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