जमशेदपुर ।
बिष्टुपुर के गोपाल मैदान में राष्ट्रीय खादी एवं ग्रामोद्योग मेले का उद्घाटन सांसद विद्युत वरण महतो ने किया। इस अवसर पर विद्युत वरण महतो ने कहा कि सुदूर देहात की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने में खादी मेले की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। ग्रामीण उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए खादी पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। गांव की महिलाएं जो कपड़ा बनाती हैं वो उनके कुशल हुनरमन्द होने का प्रमाण है। आज खादी एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण ग्रामोद्योग है और खादी को व्यवहार में लाने से राष्ट्रीयता की भावना मन में पनपती है। उन्होंने कहा कि दिन प्रतिदिन के कार्यां में खादी का व्यवहार किया जाए। स्कूलों में, और अस्पताल के मरीजों की ड्रेस में खादी को पहनना अनिवार्य कर और खादी को सभी लोग प्राथमिकता से अपनी जीवन शैली में शामिल करें तो स्वदेशी की भावना जाग्रत होगी और आने वाली पीढ़ी को भी सन्देश मिलेगा। उन्होंने कहा कि स्वच्छता, पर्यावरण की संरक्षा और खादी को जीवन में आत्मसात करके हम एक बेहतर समाज के निर्माण में कामयाब होंगे। आज चीन हर क्षेत्र में अपनी पकड़ बना रहा है। कम कीमत की चीनी वस्तुओं को दरकिनार कर स्वदेशी अपनाएं। जिससे महान और श्रेष्ठ राष्ट्र बने जो परम्परा और संस्कृति के अनुरूप विश्व गुरू बनने के सपने को साकार कर सकें।
झारखण्ड खादी बोर्ड के अध्यक्ष संजय सेठ ने कहा कि स्वर्णरेखा, सारंडा, खरकई, दलमा, पोराहाट आदि सिहंभूम को प्रकृति द्वारा प्रदत्त पहचान हैं। इन्हें प्रतीकात्मक रूप में मेला प्रांगण में उतारा गया है और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की बापू वाटिका और चरखे के साथ इसे संवारा गया है। इसका उद्देश्य हमारी युवा पीढ़ी को अपनी धरोहर से जोड़ना है। उन्होंने कहा कि आज हजारों की तादाद में बच्चे मेला प्रांगण में आए हैं और प्रतिदिन यहाँ बच्चे आएंगे जो कि बापू और चरखे को नमन करेंगे और खेत की मिट्टी से कैसे कीड़ा और फिर कोकून से धागा बनता है और कैसे चरखे से सूत काता जाता है यह सब उन्हें प्रत्यक्ष देखने को मिलेगा। इससे हमारी अगली पीढ़ी अपने मूल्यां से जुड़ी रहेगी और परम्पराओं से अवगत रहेगी। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड, नागालैण्ड, कश्मीर, दिल्ली, हरियाणा आदि प्रत्येक स्थान से कारीगर यहाँ हैं। ऐसे कारीगर जो कि ग्राम में उत्पादन कार्य में संलग्न हैं। मेले के माध्यम से यह प्रयास किया हैं कि इन कारीगरों के हस्त निर्मित उत्पादों को बाजार मिल सके।
झारखण्ड राज्य खादी बोर्ड की उपलब्धियाँ बताते हुए श्री सेठ ने कहा कि दो माह पूर्व राँची में रात्रि खादी मेला का आयोजन किया गया। रात्रि 9 से 01 बजे तक चलने वाला यह मेला राज्य का एक अनूठा पाइलट प्रोजेक्ट साबित हुआ। इससे निवेशकों को एक भय-मुक्त परिवेश होने की धारणा मिलती है। जहाँ रात्रि के दो बजे भी महिलाओं-बच्चों का आवागमन है तो यह धारणा निर्मूल होती है कि राज्य की विधि-व्यवस्था ठीक नहीं है। श्री संजय सेठ ने कहा कि झारखण्ड में तसर का उत्पादन 2600 मेट्रिक टन है।
जिले के उपायुक्त अमित कुमार ने कहा कि यह मेला खादी को जन सरोकारों से जोड़ने का स्वर्णिम अवसर है। उन्होंने कहा कि त्योहार के दिनों में लोग अधिक से अधिक संख्या में मेला में शामिल होकर इसे अविस्मरणीय बनाएं। अमित कुमार ने कहा कि 2009 के बाद यह पहला अवसर है जब इतने बड़े पैमाने पर खादी मेले का आयोजन जिला में किया जा रहा है। खादी जो कि राष्ट्रीय आन्दोलन की अस्मिता की प्रतीक रही है, वर्तमान समय में विशेष रूप से युवाओं के जन-मानस को जोड़ने के लिए इसके प्रति जागरूक और रूझान जरूरी है। उन्होंने इस अनुपम सौगात के लिए खादी बोर्ड को धन्यवाद दिया।
इस अवसर पर पोटका विधायक श्रीमती मेनका सरदार, घाटशिला विधायक लक्ष्मण टुडू, राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती कल्याणी शरण, अन्य विशिष्ट अतिथिगण, जिला के पदाधिकारीगण तथा भारी तादाद में जन-समुदाय उपस्थित थे।
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