जमशेदपुर-गुरुओं को अपनी प्रतिभा को निखारने का निरंतर काम करना चाहिए— रघुवर दास

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जमशेदपुर।

मुख्यमंत्री  रघुवर दास ने आज औपचारिक रूप से डीबीएमएस कॉलेज ऑफ एजुकेशन का उद्घाटन किया और इसे झारखंड राज्य को समर्पित किया। यह कॉलेज डीबीएमएस ट्रस्ट द्वारा स्थापित किया गया है और एनसीटीई भुवनेश्वर से मान्यता प्राप्त है। कोल्हान विश्वविद्यालय से इसे संबद्धता भी प्राप्त है। मुख्य मंत्री ने जमशेदपुर के हृदय में डीबीएमएस B.Ed कॉलेज खोलने हेतु डीबीएमएस की पूरी टीम को साधुवाद एवं धन्यवाद दिया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा सिर्फ डिग्री का साधन नहीं होता बल्कि शिक्षा हमें जीने की कला सिखाती है। आज 21वीं सदी में आधुनिक जीवनशैली, औद्योगीकरण और वैश्वीकरण के समय में ऐसी शिक्षा व्यवस्था की दरकार है जिससे बच्चों के मस्तिष्क का चहुंमुखी विकास हो, उनके हाथ में हुनर हो तभी प्रतिस्पर्धा के इस युग में वे जीवन में उन्नति कर पाएंगे और कंपटीशन में विजय प्राप्त कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि शिक्षा संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकार है। 28 दिसंबर 2014 को मुख्यमंत्री बनने के बाद सर्वप्रथम शिक्षा विभाग की समीक्षा की। झारखंड में 38000 सरकारी स्कूलों में मात्र 7000 में ही बेंच डेस्क थे। 3.5 वर्षों के अथक प्रयास से मिशन मोड में कार्य कर के सुदूरवर्ती विद्यालयों में भी बेंच डेस्क उपलब्ध कराई गई है। मात्र 6000 विद्यालयों में बिजली व्यवस्था थी, जो आज 90% विद्यालयों में बिजली उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण ज्योति योजना के तहत् 2018 तक हर घर में बिजली पहुंचाना है ।जिस-जिस गांव में बिजली का कनेक्शन दिया जा रहा है वहां के सरकारी विद्यालयों और आंगनबाड़ी केंद्रों में भी बिजली का कनेक्शन उपलब्ध कराने का निर्देश बिजली विभाग को सरकार द्वारा दिया गया है और 90% सरकारी विद्यालयों में बिजली पहुंचाई जा चुकी है शेष 10% विद्यालयों में दिसंबर 2018 तक बिजली पहुंचाने के लिए सरकार कृतसंकल्पित है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों की घोर कमी थी जिसे 3 माह के अंदर राज्य की स्थानीय नीति को परिभाषित करके प्राथमिक, माध्यमिक स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति की गई।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि आज के युग के अनुरूप गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि सरकारी विद्यालयों के टीचरों को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। स्टेट डेवलपमेंट काउंसिल में श्री अनिल स्वरूप को सीईओ को बनाया गया जिससे कि भारत सरकार में काम करने से प्राप्त उनके अनुभवों को झारखंड में कार्यान्वित किया जा सके जिससे कि शिक्षा अंतिम पंक्ति के हर गरीब व्यक्ति को मिले। उन्होंने कहा कि ई-लर्निंग के माध्यम से पढ़ने की जिज्ञासा बच्चों में बढ़ती है। 2018-19 में 1500 करोड़ रुपए का बजट रखा गया है जिससे कि विद्यालयों में संसाधनों का विकास हो। लाइब्रेरी, प्रयोगशाला प्रावधान किया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकारी स्कूलों में मध्यम वर्ग और गरीब तबके के लोगों के बच्चे पढ़ने आते हैं। इससे राज्य की जिम्मेवारी है कि गरीब के बच्चे को भी अच्छी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले इसके लिए प्रावधान किए जाएं। गरीब बच्चों को चिन्हित करके अलग शिक्षा देने के लिए डीबीएमएस विद्यालय प्रबंधन बधाई का पात्र है। उन्होंने कहा कि कर्म से ही व्यक्ति की पहचान बनती है। अपने जीवन में हर नागरिक को यह बात आत्मसात करनी चाहिए। अपने जीवनकाल में यदि अच्छे काम करेंगे तो समाज भी मदद में अपने हाथ आगे बढ़ाता है और संबल बनता है।

उन्होंने कहा कि रांची, जमशेदपुर, धनबाद, बोकारो जैसे शहरों में स्कूली शिक्षा की व्यवस्था उत्तम है। उच्च शिक्षा के लिये राज्य से बाहर जाना पड़ता है जिससे आर्थिक संसाधन का पलायन होता है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा उच्च शिक्षा सचिव के पद का सृजन किया गया और उच्च शिक्षा निदेशालय का गठन हुआ। उच्च शिक्षा के राष्ट्रीय औसत में झारखंड काफी पीछे है, यह एक कटु सत्य है। सरकार इस दिशा में तेजी से काम कर रही है। बच्चों को दूसरे राज्यों में ना जाना पड़े इसके लिए 6 निजी विश्वविद्यालयों को राज्य सरकार ने मान्यता दी है और आज एमिटी जैसी संस्था राज्य में पठन पाठन का कार्य कर रही है। साथ ही सरकार के स्तर पर 4 विश्वविद्यालयों को मान्यता दी गई है जिसमें शक्ति रक्षा विश्वविद्यालय, जमशेदपुर में प्रोफेशनल विश्वविद्यालय, और महिला विश्वविद्यालय शामिल हैं। आने वाले समय में प्राथमिक, माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा के लिए 100 कॉलेज बनाने की योजना है, जिससे कि झारखंड के गांव में रहने वाली बच्चियों को भी पढ़ने के लिए दूर ना जाना पड़े। स्वयं सेवी संस्था, सरकार एवं मानव सेवियों के सहयोग से राज्य की शिक्षा व्यवस्था को उच्च गुणवत्ता पूर्ण बनाने की दिशा में कार्य करने का आग्रह मुख्यमंत्री ने किया। उन्होंने कहा कि जिस समाज में ज्ञान एवं विशेषताओं का भंडार होगा वही समाज राज्य और राष्ट्र आगे बढ़ेगा। बच्चों को ऐसी शिक्षा दें जिससे उनमें जिज्ञासा बनी रहे। बच्चों को भी गुरुओं का सम्मान करना चाहिए यह उनकी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों में भी अनुशासन जरूरी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकारी स्कूल के शिक्षक और निजी स्कूलों के शिक्षकों में आपस में ज्ञान का आदान प्रदान हो जिससे उन्हें परस्पर मेल से कुछ नया सीखने को मिले। गुरुओं को अपनी प्रतिभा को निखारने का निरंतर काम करना चाहिए। गुरु राष्ट्र के निर्माण में लगे हैं। राज्य और राष्ट्र की बुनियाद बना रहे हैं, इसे मजबूत बनाएं।

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