क और प्रमाणिक स्रोत से युक्त सुदृढ़ भूमिका निभाने के लिए कहा हैं। पाठकों की दिनचर्या में बदलाव के लिए अस्थाई समाधान के साधन की बजाए स्थाई साधन के रूप में नवीनीकरण की आवश्यकता हैं। श्री मनीष तिवारी ने ‘’नवीनीकरण द्वारा जीत’’ विषय को लेकर आयोजित आठवीं भारतीय पत्रिका कांग्रेस के उद्घाटन भाषण के अवसर पर यह बात कही।


श्री मनीष तिवारी ने यह भी कहा कि वर्तमान में बहुत से जाने माने प्रकाशकों ने डिजीटल तकनीक को अपना लिया हैं और अब इस बात आवश्यकता है कि मान्य नियमों के प्रबंधन द्वारा विश्वभर में फैले इंटरनेट द्वारा इसे सशक्त किया जाए। नई मीडिया के क्षेत्र में प्रमाणित और समृद्ध विषय वस्तु सुनिश्चित करने के लिए मानक सम्पादन डिजिटल संसार के लिए आवश्यक है। विभिन्न मीडिया धाराओं में तात्कालिक सूचना प्रवाह के साथ खुद को संभाले रखना पत्रिका उद्योग के सामने चुनौती है।
पत्रिका उद्योग के प्रचालन के विषय पर बोलते हुए श्री तिवारी ने कहा कि उद्योग की भविष्य के कार्यकरण पद्धति पत्र मीडिया के हिस्सेदारों के लिए आवश्यक वृहद्ध आर्थिक वातावरण को निश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। यह तभी संभव होगा जब यह उद्योग अपनी कार्यक्षमता के उच्च लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु अपने पाठकों से संबंध स्थापित करने के लिए उन्हें उच्च गुणवत्ता वाली पठन सामग्री उपलब्ध कराए। पत्रिका उद्योग को अपना लाभ बढ़ाने के लिए लागत नियंत्रण के उपाएं अपनाने पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए और साथ ही योजना, बजट, ग्राहक संबंध प्रबंधन, रणनीतिक जानकारी आदि क्षेत्रों की तकनीकों को भी अपनाना चाहिए।
पत्र मीडिया की प्रवृत्तियों के विषय पर श्री तिवारी ने कहा कि क्षेत्रीय और स्थानीय भाषाओं वाली पत्रिकाओं का बाज़ार लगातार तरक्की कर रहा है, जो कि कुछेक क्षेत्रों में अखबारों और पत्रिकाओं की संख्या बढ़ाने और इस क्षेत्र में हिस्सेदारी बढ़ाने की इच्छा रखने वालों के लिए एक मंच उपलब्ध कराने एवं पढ़ाई-लिखाई के स्तर को ऊंचा उठाने दृष्टि से लाभदायक है। उन्होंने यह भी कहा कि पत्र उद्योग की मूल विशेषताएं है: वृहद्ध पहुंच, स्थानीय लाभ, विश्वास स्थापित करने और लंबे समय तक तार-तम्य की क्षमता और इनसे भारतीय विज्ञापनदाताओं के लिए अति महत्वपूर्ण मंच के रूप में अपना स्थान बनाने के लिए उम्मीद है कि पत्र उद्योग अपनी तरक्की सुनिश्चित करने के लिए एक आधार के रूप में भूमिका निभाएंगा।
श्री तिवारी ने यह भी कहा कि वैश्विक प्रवृत्तियों की तुलना में भारतीय पत्र उद्योग विज्ञापन और राजस्व प्रसार के क्षेत्र में सतत् प्रगति कर रहा है। इंटरनेट का प्रयोग बड़े पैमाने पर तेज़ी से बढ़ रहा है और पत्र उद्योग क्षेत्रीय और स्थानीय भाषाओं वाली पत्रिकाओं का बाज़ार लाभ की दृष्टि से लगातार आगे बढ़ रहा है। वर्तमान स्थानीय भाषाओं और अंग्रेजी पत्रिका उद्योग को यहां तक पहुंचने में 60 सालों से ज्यादा का समय लगा है और उसमें अभी भी बढ़ोत्तरी की क्षमता है।