हर-हर महादेव के जयकारों से गुजांयमान रहा मंदिर
सिमरी बख्तियारपुर(सहरसा) ब्रजेश भारती की रिपोर्ट:-
प्रखंड के प्रसिद्ध बाबा मटेश्वरधाम बलवाहाट कांठों में श्रावण मास कि प्रथम सोमवारी को हजारों श्रद्धालुओं ने बाबा भोले को जलाभिषेक किया।
वही न्यास समिति के सचिव जितेन्द्र सिह बघेल उपाध्य कृतनारायण सिहं ने फीता काट कर एक माह तक चलने वाले श्रावणी मेला का उद्धाघाटन किया | इस अवसर पर उन्होंने कहा कि यहां जो शिवलिंग है वह देश दुनिया में अदभुत हैं। प्रशासनिक पहल कर मंदिर परिषर को विकसित करने कि जरूरत है साथ ही पर्यटन विभाग को भी इस मंदिर कि ओर घ्यान आर्कषित करने कि जरूरत हैं।
वही एक मास तक चलने वाले मेले पर कहा कि मेले से आपसी भाई चारे का विकास होता है साथ ही आज कि भगदौर कि जिंदगी में मेले से मनोरंजन भी प्राप्त होता हैं। इससे पूर्व रात 12 बजे के बाद मंदिर का द्वार खुलते ही मुंगेर के छर्रापटटी से जलभर कर 109 किलोमीटर पैदल चलकर आये डाकबम कांबरियों ने जलाभिषेक किया लगभग 10 हजार डाकबम कांबरिया के जलाभिषेक करने का अनुमान लगाया गया हैं। वही 20 हजार से अधिक सामान्य श्रद्धालुओं के द्वारा जल चढ़ाने का अनुमान लगाया गया।
उद्वधाटन के मौके पर नरेश सिह,चन्द्रकिशोर यादव,परिधि सिह बघेल, भवेश ठाकुर,शिवनारायण राय,रजकिशोर गुप्ता,नितिन गुप्ता,शेलेन्द्र सिह,दिपक सिह,हीरा सिह,विजय कुमार सिह,रंजित राय,धानो यादव,ललित झा,हरिमोहन झा,विद्धानंद ठाकुर आदि मौजूद रहें।
मुंगेर जिले के छर्रापटटी से जल भरते है कांबरिया
मुंगेर जिले के छर्रापटटी जलभर कर सहरसा मानसी रेलखंड के अलावे अन्य रास्तों से करीब 109 किलोमीटर कि यात्रा कर डाकबम एवं कांबरिया यहां जलाभिषेक के लिये आते हैं। छर्रापटटी से जलभर कर आने वाले कांबरियों के सेवा के लिये फनगों हाल्ट से कोपरिया गांव सलखुआ सैनीटोला चौक सहित करीब एक दर्जन स्थानों पर ग्रामीणों के द्वारा स्टाल लगाया जाता हैं।
स्वयं अकुरित है शिवलिंग
बाबा मटेश्वरधाम का अनोखा शिवलिंग स्वंय अंकुरित हैं।यह शिवलिंग 14 वीं शताब्दी कि बताई जा रही हैं।समतल जमीन से करीब 40 फीट उंचाई पर यह मंदिर स्थापित है शिवलिंग कि मोटाई करीब 4 फीट हैं। शिवलिंग के चारों ओर करीब एक इंच खाली स्थान है जिनमे पानी भरा रहता है गर्मी के मौसम में खाली स्थान में पानी का स्तर उपर चला आता है वही बरसात में नीचे चला जाता हैं।
प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार बना है मंदिर
उत्तर बिहार का मिनी बाबा धाम का रूप ले चुका यह मंदिर अभी तक प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार बना हुआ है आज भी सरकार कि ओर से कोई सहायता मंदिर को नही मिल रहा है स्थानिय लोग एवं मंदिर कमेटी ही यहां मेले का आयोजन करती है साथ ही मंदिर के रख रखाव में भी सहयोग से ही काम होता हैं।
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